इसबार ठगों ने बिहार के DGP को निशाना बनाया है। डीजीपी एसके सिंघल का फोटो लगाकर व्हाट्सएप पर पदाधिकारियों से रुपए मांगें हैं। इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की तहकीकात चल रही है। मगर सवाल भी है, आखिर प्रदेश में साइबर फ्रॉड पर रोक लगाने में पुलिस विफल क्यों है। लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
हाल ही में बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के साथ भी ऐसा ही हुआ। इससे पहले आईपीएस आदित्य कुमार के साथ साइबर ठगों ने अपनी हिमाकत का परिचय दे ही चुका है। इधर, डीजीपी एसके सिंघल कभी फर्जी चीफ जस्टिस तो उनके ही नाम पर साइबर फ्रॉड फर्जीवाड़ा कर पुलिस अफसरों से ठगी की यह कोशिश बहुत कुछ कहती है।
जानकारी के अनुसार, इस मामले में इकोनामिक ऑफेंस यूनिट के सब इंस्पेक्टर सत्येंद्र की रिपोर्ट पर 26 सितंबर को एफ आई आर दर्ज किया गया। 26 सितंबर को दिन में करीब 3 बजे डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के नाम और तस्वीर लगे एक व्हाट्सएप नंबर 9625784766 से विभिन्न पुलिस अफसरों को कॉल कर ठगी की कोशिश की गई।
फ्रॉड ने अधिकारियों से रुपए ठगने के लिए डीजीपी के नाम और उनकी तस्वीर का गलत उपयोग किया। इस मामले में इकोनामिक ऑफेंस यूनिट के सब इंस्पेक्टर सत्येंद्र की रिपोर्ट पर 26 सितंबर को एफ आई आर दर्ज किया गया। IPC की धारा 419, 420 के अलावा आईटी एक्ट की धारा 66 सी और 66 डी के तहत एफ आई आर दर्ज किया गया है। आर्थिक अपराध इकाई इसकी जांच कर रही है।
अभी हाल ही में बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी भी साइबर अपराध के शिकार हो गए हैं। डीजीपी के मामले में अपराधियों का मोडस ऑपरेंडी थोड़ा अलग है। इसमें ठगी के लिए डीजीपी के नाम और फोटो का ही सहारा लिया गया।
26 सितंबर को ही ईओयू में सब इंस्पेक्टर सत्येन्द्र की रिपोर्ट पर आईपीसी की धारा 419 और 420 के अलावा आईटी एक्ट की धारा 66 सी और 66 डी के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई। ईओयू जांच कर रही है।
जानकारी के अनुसार,डीजीपी के नाम से किए गए वाट्सएप चैट भी निकाला गया है। इसमें जालसाज अंग्रेजी संदेश भेजकर पुलिस पदाधिकारियों से हाल-चाल लेने के बाद पूछता है कि वह इस समय कहां हैं। पुलिस पदाधिकारी द्वारा अभिवादन के बाद कार्यालय में होने की सूचना दी जाती है। इसके बाद डीजीपी का छद्म रूप लेकर संवाद कर रहा जालसाज एक महत्वपूर्ण मीटिंग में होने के कारण फोन काल रिसीव न कर पाने का हवाला देते हुए मदद मांगता है।