
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Ex dgp gupteshwar pandey) की कैसे शराबी ने पलट दी खाट, फिर नाली के सिरहाने कैसे कटी रात और कैसे भिक्षा मांगकर काटी जिंदगी और आज कहां और कैसे कट रही है जीवन, पढ़िए साधु बनने से कैसे बचे पूर्व डीजीपी की यह दिल को छूती अनछूई कहानी
कहते हैं कि किसी व्यक्ति का नाम एक होता है और रूप अनेक। बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। वह पहले अधिकारी बने..फिर राजनीति में एंट्री की और अब इस सबसे अगल वह आध्यात्म की दुनिया में प्रवेश कर गए हैं।
1987 बैच के चर्चित आईपीएस और बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की अलग कहानी है. बेबाक बयान और अंदाज से वह चर्चा में बने रहते हैं। पॉलिटक्स हो या फिर बॉलीवुड सब में माहिर हैं। एक तरफ फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की हुई मौत के बाद एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती पर ‘औकात’ शब्द कहकर दिए गए बयान को लेकर उन्होंने सुर्खियां बटोरी तो दूसरी ओर 2020 में ही बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी नजर पॉलिटिक्स की तरफ थी। हाल के दिनों में फिर से वह चर्चा में हैं।
गुप्तेश्वर पांडेय सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। इन दिनों गेरुआ वस्त्र पहनकर भक्ति में लीन हो गए हैं. लोगों को श्रीमद्भागवत कथा सुना रहे हैं. यूं कहें कि ‘रॉबिनहुड’ से ‘कथावाचक’ हो गए हैं।
गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं. वे मूल रूप से बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बतौर एएसपी, एसपी, एसएसपी, आईजी, आईजी और एडीजी के रूप में बिहार के 26 जिलों में सेवा दी है। गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी से चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया लेकिन टिकट मिला नहीं।
उन्होंने वापस सेवा में आने की अर्जी दी, जिसे 9 महीने बाद नीतीश कुमार सरकार ने मंजूर कर लिया था। 2009 में जब पांडेय ने वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था।
फिलहाल कहां हैं गुप्तेश्वर
अब वे अध्यात्म की राह पर हैं। उनका ज्यादातर वक्त अयोध्या, मथुरा और वृंदावन की गलियों, मठों और मंदिरों में गुजर रहा है। वे लगातार धार्मिक मंच, सत्संग और प्रवचन कार्यक्रमों में दिखते रहते हैं।
हाल ही में उन्होंने सारण जिले के सोनपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और श्रद्धालुओं को अध्यात्म की राह बताई। गच रविवार को उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए अयोध्या के अलावा यूपी के गोंडा जिले से जुड़ीं पुरानी यादे साझा कीं। पांडेय ने बताया कि वे आजकल अयोध्या में प्रवास कर रहे हैं। इस दौरान उनकी 40 साल पुरानी यादें ताजा हो गईं तो वे गोंडा जिले के नवाबगंज चले गए।
पूर्व डीजीपी ने बताया कि यूपीएसएसी में चयन होने से पहले उन्हें अध्यात्म की राह सूझ गई थी और उन्होंने साधु बनने की सोच ली थी। तब वे पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई किया करते थे। बीए फाइनल की परीक्षा देने के बाद एक दिन वे बिना किसी को बताए अयोध्या चले गए और आसपास के इलाकों में भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करने लगे। तब उनकी उम्र 21-22 साल हुआ करती थी।
उन्होंने बताया कि लगभग 40 साल पहले जब वे अयोध्या के गोंडा जिले के गावों में भिक्षाटन किया करते थे तब नवाबगंज में रुके थे। रात के ठहरने के लिए धर्मशाला पहुंचे लेकिन वहां उन्हें जगह नहीं मिली।
इसके बाद वे धर्मशाला के बाहर पड़ी खाट पर सो गए। देर रात को एक शराबी आया और उसने उनकी खाट को उलट दिया। इससे पांडेय नीचे गिर गए। इसके बाद वे थोड़ी देर के लिए बगल से गुजर रही नाली की पुलिया पर सो गए।
‘रॉबिनहुड बिहार के’ भी चर्चा में रहा
सोशल मीडिया पर चुलबुल पांडेय के तौर पर गुप्तेश्वर पांडेय मशहूर हैं. दीपक ठाकुर का उनपर बनाया गाना ‘ राबिन हुड बिहार के’ भी चर्चा में रहा था। इस गाने के बोल थे- माफिया अपराधी मांगे दुआ, हिल जाए इलाका इनकी एक दहाड़ से. इस गाने के बाद यह कहा जाने लगा था कि बिहार विधानसभा के चुनाव से पहले उन्होंने अपनी छवि बनाने के लिए ऐसा किया था।