
यूपी के पूर्वांचल की सबसे हॉट सीट मऊ सदर बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari will fight in assembly elections) के नाम से हमेशा चर्चा में बनी रहती है। दो दशकों से अधिक समय से इस सीट पर कब्जा जमाए मुख्तार अंसारी को उसके गढ़ में दलों को चुनौती दे पाना काफी मुश्किल रहा है।
जेल से जीतते आ रहे बाहुबली को हरा पाना दलों के लिए कड़ी चुनौती है। अब विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव में मुख्तार के किले में फिर सेंधमारी करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके लिए तमाम दावेदार लखनऊ में जमे हुए हैं। जिनकी मुख्तार के गढ़ माने जाने वाले मऊ सदर पर खास नजर है। पढ़िए नया क्या है।
चित्रकूट धाम मंडल कारागार में बंद मऊ सदर विधानसभा के विधायक माफिया मुख्तार अंसारी जेल में रहकर ही ताल ठोकेंगे। इसके लिए मुख्तार के अधिवक्ता ने न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद नामांकन खरीद लिया है। वह सुहेलदेव भारतीय समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
2022 की तैयारियों को लेकर मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के चुनाव लड़ने की खबर चर्चा में है। खुद माफिया के बेटे अब्बास ने बताया कि मुख्तार 2022 में यूपी विधानसभा (UP Assembly Election 2022) चुनाव लड़ेगा। इससे पहले मुख्तार से मिलने के लिए दोनों बेटे बांदा मंडल कारागार पहुंचे थेञ इस दौरान उन्होंने ये जानकारी दी. बता दें कि बाहुबली विधायक बांदा जेल में बंद हैं।
इस बात के पहले से कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्तार अंसारी जेल से ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन बहुजन समाज पार्टी व सपा से टिकट न मिलने पर इस बात की आशंका थी कि शायद वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, लेकिन पिछले महीने ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बांदा जेल में आकर मुख्तार अंसारी से न सिर्फ मुलाकात की थी, बल्कि उन्होंने कहा था कि मुख्तार अंसारी उनके पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे और अब मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता दरोगा सिंह द्वारा मऊ में नामांकन पत्र खरीद लेने से तय हो गया है कि मुख्तार अंसारी जेल से चुनाव लड़ेंगे।
1996 में मऊ सदर सीट से पहली बार विधायक चुने गए मुख्तार अंसारी ने लगातार 2 दशकों से अधिक समय तक इस सदर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। इस सदर सीट पर मुख्तार के तिलिस्म का जादू इस कदर है कि सभी पार्टियां अभी तक इस तिलिस्म को तोड़ने में नाकाम रही हैं। इस सीट पर मुख्तार का प्रभाव कुछ इस कदर है कि वह निर्दलीय भी लड़ जाएं तब भी उनकी जीत सुनिश्चित मानी जाती है। लोगों का ऐसा मानना है मुख्तार अंसारी किसी पार्टी के मोहताज नहीं।
गौरतलब है कि मंगलवार को विधायक के अधिवक्ता ने एमपी-एमएलए कोर्ट में आवेदन कर नामांकन के लिए सहमति पत्र दाखिल किया था। अधिवक्ता ने कोर्ट से मुख्तार अंसारी के नामांकन के लिए उनके अधिवक्ता, नोटरी वकील, प्रस्तावक, समर्थक व फोटोग्राफर सहित कुल 22 लोगों को बांदा जेल में दाखिल होने की अनुमति मांगी। ताकि उनका दो सेट के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर एवं उसका सत्यापन बांदा जेल अधीक्षक से कराया जा सके।
गुरुवार को अधिवक्ता ने दो सेट में नामांकन पत्र खरीद कर सियासी गर्मी को बढ़ा दिया। अब लगभग तय है कि मुख्तार अंसारी सुभासपा बैनर से ही चुनावी मैदान में उतरेंगे।
1996 में मऊ सदर सीट से पहली बार विधायक चुने गए मुख्तार अंसारी ने लगातार दो दशकों से अधिक समय तक इस सदर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। इस सदर सीट पर मुख्तार के तिलिस्म का जादू इस कदर है कि सभी पार्टियां अभी तक इस तिलिस्म को तोड़ने में नाकाम रही हैं। इस सीट पर मुख्तार का प्रभाव कुछ इस कदर है कि वह निर्दलीय भी लड़ जाएं, तब भी उनकी जीत सुनिश्चित मानी जाती है।