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9 मई, 2024
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Darbhanga News| रक्तस्राव, संक्रमण, रुकावट, चमकी पर विराम ही 2030 के लक्ष्य को साधेगा

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Darbhanga News| रक्तस्राव, संक्रमण, रुकावट, चमकी पर विराम ही 2030 के लक्ष्य को साधेगा जहां, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की सूची में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को 2020 के 103 से घटाकर 2030 तक 70 प्रति लाख जीवित शिशु जन्म लाना है। अभी मिथिला में मातृ मृत्यु के कारणों में रक्तस्राव, संक्रमण, प्रसव रास्ते में रुकावट एवं उच्च रक्तचाप के कारण होने वाले चमकी (इक्लेंपशिया) प्रमुख है।

 

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Darbhanga News| हृदय रोग प्रसूतियों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण

प्रसूति रोग विशेषज्ञों के सतत प्रयासों से इन कारणों से होने वाली मातृ मृत्यु में बड़ी कमी आई है, इसी कारण हृदय रोग प्रसूतियों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है। 2019 की अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार वहां हृदय रोग 25% मातृ मृत्यु का कारण बन रहा है, जो आने वाले दिनों में हमारे यहां भी होने जा रहा है।

Darbhanga News| डॉ.ओम प्रकाश ने कहा,

यह बातें डॉ. ओम प्रकाश ने दरभंगा स्त्री एवं प्रस्तुति रोग फेडरेशन की ओर से स्थानीय सभागार में आयोजित एक परिचर्चा (Seminar on heart disease in pregnant women in Darbhanga) की शुरुआत करते हुए कही। गर्भवती महिलाओं में हृदय रोग पर आयोजित इस परिचर्चा में प्रो. शीला कुमारी (साहू),डॉ.राजश्री पूर्वे, डॉ. अलका मिश्रा एवं डॉ. प्रशांता कृष्णा गुप्ता ने भाग लिया।

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Darbhanga News| प्रो. शीला कुमारी ने कहा

प्रो. शीला कुमारी ने कहा कि गर्भस्थ शिशु के पोषण के लिए मां के शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ती है। इसके कारण हृदय को ज्यादा काम करना पड़ती है। शिशु को सही से खून मिल सके इसलिए उसके रक्त वाहिकाओं में कम दबाव पर रक्त का प्रवाह होना जरूरी होता है। प्रकृति ने औरत को ऐसा बनाया है कि गर्भावस्था के इन परिवर्तनों को थोड़ी परेशानी के साथ सहन कर लेती है। परंतु यह दबाव एक करेला दूजा नीम चढ़े की तरह हृदय रोग होने पर घातक बन जाता है।

Darbhanga News| डब्ल्यूएचओ की ओर से दिए गए वर्गीकरण के अनुसार

इस कारण हृदय फेल कर सकता है, धड़कन अनियमित (डिसरिदमिया) हो सकता है या परिवहन तंत्र में खून के थक्के बन सकते हैं। इनके कारण प्रसूता और गर्भस्थ शिशु को अनेक तरह की तकलीफों को झेलना पड़ सकता हैं। और, उन्हें मृत्यु तक का सामना करना पड़ सकता है। डॉ. प्रशांता कृष्णा गुप्ता ने कहा कि हृदय रोग के कारण प्रसूता का सामान्य जीवन विभिन्न स्तरों पर प्रभावित हो सकता है। कुछ प्रकार के हृदय रोग ऐसे होते हैं, जिनमें गर्भ का आना ही घातक है। परंतु डब्ल्यूएचओ की ओर से दिए गए वर्गीकरण के अनुसार गर्भावस्था के दौरान देखभाल कर और उचित स्थान पर प्रसव कराने से मृत्यु का खतरा कम किया जा सकता है।

Darbhanga News| डॉ. राजश्री पूर्वे ने बताया

डॉ. राजश्री पूर्वे ने बताया कि अन्य लोगों की तरह स्त्रियों में भी हृदय रोग जन्मजात भी हो सकता है, परंतु ब्लड प्रेशर और हृदय के वाल्व और मांसपेशियों की गड़बड़ी के कारण भी होता है। सभी में रोग की गंभीरता के अनुसार मां की जान को खतरा हो सकता है।पैन लिस्ट डॉ. अलका मिश्रा के अनुसार हृदय रोग के कारण गर्भवती महिला को अत्यधिक थकावट, दम फूलने, सीने में दर्द होना, खखार में खून आना या अचानक चक्कर आ जाने की शिकायत हो सकती है।

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Darbhanga News| विभिन्न क्लीनिकल लक्षणों पर चर्चा

उन्होंने डॉक्टर को हृदय की जांच के दौरान मिलने वाले विभिन्न क्लीनिकल लक्षणों पर चर्चा की साथ ही कहा कि इकोकार्डियोग्राफी के आ जाने से निदान का कार्य काफी हद तक सरल हो गया है। उन्होंने इसीजी, एमआरआई और बायो मार्र्कस पर भी चर्चा की।
परिचर्चा के दौरान यह बात उभर कर आई की हृदय रोग ग्रसित प्रसूताओं में में नॉर्मल डिलीवरी ज्यादा उपयुक्त विकल्प है। कुछ रेयर परिस्थितियों को छोड़कर सर्जरी सिर्फ प्रसव की परेशानियों के कारण ही करना उचित है।

Darbhanga News| फिजिशियन, गहन रोग इकाई में कार्य करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञ

इस दौरान मरीज के दर्द निवारण और बेहोशी से होने वाली परेशानियों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। सहमति के साथ तय पाया गया कि विभिन्न जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए हृदय रोग ग्रसित महिलाओं के इलाज के लिए मल्टी डिसीप्लिनरी अप्रोच की आवश्यकता है, जिसमें प्रसूति विशेषज्ञों के साथ फिजिशियन, गहन रोग इकाई में कार्य करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञ अति दक्ष बेहोशी के डॉक्टर, नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ, आईसीयू के कार्य चलाने वाले दक्ष नर्स और टेक्नीशियन एक साथ काम कर प्रसव को सुगम बना सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि प्रसव हो जाने मात्र से प्रसूता की जान का खतरा टलता नहीं बल्कि बढ़ जाता है, इसलिए उसे महीनों तक उचित देखभाल की जरूरत पड़ती है।

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Darbhanga News| डॉ. कुमुदिनी झा ने गर्भवती महिलाओं में

प्रो.शीला साहू ने सतत रिसर्च, गाइडलाइंस डेवलप करने और हृदय रोगियों को गर्भधारण करने के पूर्व से ही उनकी काउंसलिंग और सपोर्ट पर बल दिया। डॉ. कुमुदिनी झा ने गर्भवती महिलाओं में रक्त अल्पता पर एक व्याख्यान दिया और उन्होंने हीम आयरन के खूबियों की चर्चा की।

Darbhanga News| इनकी रही विशिष्ट उपस्थिति

इस कार्यक्रम में डॉ. भरत प्रसाद, डॉ. नूतन बाला सिंह, डॉ. नूतन राय, डॉ. रेनू झा, डॉ. वसुधा रानी, डॉ. शिल्पी सिंह, डॉ. शिल्पा कुमारी, डॉ. जमुरत इत्यादि सहित बड़ी संख्या में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भरत प्रसाद ने इस तरह के कार्यक्रमों की आयोजन के लिए अध्यक्ष डॉ. कुमुदिनी झा और सचिव डॉ. राजश्री पूर्वे की भूरि भूरि प्रशंसा की।

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