कमतौल, देशज न्यूज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैन प्रधानमंत्री के सम्पूर्ण कार्यक्रम में अपने हाथ में चाय के केटली लिए बगल के गैलरी में खड़ा रहने वाले अविस्मरणीय, देवदुर्लभ, समर्पित कार्यकर्ता संतोष झा के असामयिक निधन से संपूर्ण भाजपा परिवार मर्माहत है। इधर, कोरोना एक्शन टीम के सदस्य डॉ. रंगनाथ ठाकुर ने सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकटार पंचायत के सिरहुल्ली गांव स्थित संतोष झा की पत्नी के मायके में पहुंच कर उनको 51 हजार रुपया नकद राशि देकर आर्थिक मदद पहुंचाई है। मौके पर पीड़ित परिवार के प्रति रंगनाथ ठाकुर ने संवेदना व्यक्त करते कहा कि मर्माहत हूं,अश्रुपूरित भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूं।
डॉ.रंगनाथ ठाकुर ने कहा, ऐसा कार्यकर्ता हमने अबतक नही देखा, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर अपनी जीवन दान दे दिया। संतोष के निधन से उसकी परिवार सड़क पर आ गया है। पार्टी को चाहिए उसकी बच्ची व पत्नी की मदद को लेकर आगे आए, चूंकि किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता ही रीढ़ होता है।
उन्होंने कहा, भाजपा व प्रधानमंत्री का ऐसा दीवाना कार्यकर्ता संतोष जो आर्थिक रूप से सबल नहीं थे लेकिन जूनून ऐसा था कि ठंडी हो या गर्मी ,मौसम अनूकूल हो या प्रतिकूल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तर भारत हो या सुदूर क्षेत्र जहॉं भी रैली होती थी ,वहॉं स्वयं के ख़र्चे पर पहुंच पीएम के गैलरी के पास खड़े होकर अपने सम्पूर्ण शरीर को पेंट कर एक हाथ में चाय के केटली तो दूसरे हाथ में भाजपा का झंडा लहराते हुए चाय बाले प्रधानमंत्री की पुष्टि करते दिखते थे।
डॉ. ठाकुर ने कहा, दो छोटी-छोटी पुत्री के साथ बिधवा पत्नी अब सड़क पर आ गई है जिसे रहने को सर पर छत तो दूर अब झोपड़ी भी नसीब नहीं है, जिसे मदद करने को लेकर रविवार को सबसे पहले पहुंचे डॉ. ठाकुर ने बताया कि संतोष ऑटो चलाकर तीस वर्षीय पत्नी नीतू देवी व दो पुत्री दस वर्षीय नीता कुमारी व छह वर्षीय अराध्य कुमारी की भरण-पोषण करते थे। वह मुख्य रूप से समस्तीपुर जिला के खानपुर थाना क्षेत्र केखतुआह गांव के रहने वाले थे। वहां उनको घर नहीं था, दरभंगा में एक किराए के छोटे से घर मे भाड़ा पर रहते थे।उन्होंने बताया, मोदी भक्त संतोष प्रधानमंत्री के हर कार्यक्रम में परिवार की परवरिश की बिना चिंता किए हुए अपने खर्च पर सम्पूर्ण शरीर को भाजपा के रंग में रंग कर हाथ के एक चाय की केटली व भाजपा की झंडा लिए हुए प्रधानमंत्री की कार्यक्रम में शामिल होकर सुर्खियों बंटोरते रहते थे। यही कारण है कि संतोष की मौत के बाद पत्नी व दो पुत्री आज रोटी कपड़ा और मकान के लिए तरस रही है। इस कारण वह दरभंगा की डेरा, समस्तीपुर की ससुराल छोड़ कर सिरहुल्ली स्थित अपने मायके में पिता के यहां शरणार्थी बनकर जीने को मजबूर है।