

उत्तम सेन गुप्ता, बिरौल देशज टाइम्स डिजिटल डेस्क। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं जस्टिस एस कुमार की पीठ ने बिरौल नगर परिषद (case of Biraul Municipal Council) के मामले को संज्ञान में लेते हुए बड़ा आदेश दिया है।
पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के मुख्य न्यायाधीश एवं जस्टिस एस कुमार की पीठ ने बिरौल नगर परिषद के मामले को संज्ञान में लेते हुए चार हफ्तों में बिहार सरकार को हलफनामा दायर करने का सख्त आदेश दिया है।
न्यायालय ने जनहित में मामला होने के कारण इसे स्वीकार कर लिया है। गौरतलब है कि बिरौल को नगर परिषद का दर्जा देने के लिए इन्द्रमोहन सिंह, राजकुमार सिंह, रामबाबू माहथा, बलराम टेकड़ीवाल व मनोज साह, पप्पु नायक, सनोज नायक,समेत अन्य ने लोकहित याचिका सीडब्ल्यूजेसी 16659/2021 दायर किया है।
इसमें बिहार सरकार के नगर एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव समेत कई अधिकारियों और दरभंगा डीएम को पार्टी बनाया गया है।
इसी के सन्दर्भ में सोमवार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं जस्टिस एस कुमार के पीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जग्रन्नाथ सिंह एवं गजेन्द्र प्रसाद ने न्यायालय को बताया कि बिहार सरकार ने बिरौल को नगर परिषद (case of Biraul Municipal Council) का दर्जा मिलने के बाद बिना कारण बताये उसे निरस्त कर दिया गया।
बिरौल नगर परिषद (case of Biraul Municipal Council) के क्षेत्र में आने वाले जनता के छल किया गया है। उसे नगर सुविधा से वंचित रखने का साजिश है। अधिवक्ता ने न्यायालय से अविलंब इस दिशा में न्यायसंगत कार्रवाई करने की गुहार लगायी।
यहां बता दें कि बिहार सरकार ने वर्ष 2017 मे बिरौल को नगरपरिषद (case of Biraul Municipal Council) का दर्जा मिलने से संबंधित अधिसूचना जारी किया था।
इसे तत्कालीन बीडीओ जितेन्द्र कुमार सहित कई अधिकारियों ने सरकार एवं तत्कालीन डीएम ने पत्र को ठंडे बस्ते में रख दिया। जबकि बिरौल को नगर परिषद दर्जा मिले इसके लिए गौड़ाबौराम से विधायक सह मंत्री रहे मदन सहनी ने सरकार के मंत्रीपरिषद से प्रस्ताव पारित कराने में अहम भूमिका निभाये।








