

बिहार के वैशाली जिले में महावीर मंदिर की तरफ से रामायण विश्वविद्यालय का निर्माण कराने की तैयारी हो रही है। बिहार के लोगों को भारत की विरासत और संस्कृति के बारे में जागरूक करने के मकसद से इस विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है।
इस विश्वविद्यालय में संस्कृत और व्याकरण के अलावा दूसरे विषयों की भी पढ़ाई होगी। इसके लिए वैशाली जिले के इस्माइलपुर में इसके लिए लगभग 12 एकड़ जमीन चिन्हित किया गया है।
महावीर मंदिर न्यास समिति ने बिहार निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2013 के अंतर्गत विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को दे दिया है। महावीर मंदिर की तरफ से इसके लिए 10 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट भी शिक्षा विभाग को दिया गया है। रामायण विश्वविद्यालय में संस्कृत और व्याकरण की पढ़ाई पर विशेष बल दिया जाएगा। संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई में महर्षि पाणिनि की अष्टाध्याई पतंजलि कृत महाभाष्य और काशिका की पढ़ाई होगी।
रामायण विश्वविद्यालय में डिग्री कोर्स में स्नातक स्तर पर शास्त्री की डिग्री दी जाएगी, जबकि स्नातकोत्तर के लिए आचार्य, पीएचडी के तौर पर विधि वारिधि और डी-लिट की उपाधि के तौर पर विद्यावाचस्पति उपाधियां प्रदान की जानी है। इसके अलावा एक डिप्लोमा कोर्स भी होगा जिससे जिसमें नामांकन लेने वाले विद्यार्थियों को रामायण शिरोमणि का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके साथ साथ 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स कराया जाएगा। यह कोर्स करने वाले लोग रामायण पंडित कहे जाएंगे।
विश्वविद्यालय में एक भव्य और आकर्षक पुस्तकालय का भी निर्माण कराया जाएगा। इस विश्वविद्यालय में रामायण, गीता, महाभारत के अलावा वेदों और पुराणों पर शोध कार्य संपन्न होगा। महावीर मंदिर न्यास समिति की मानें तो इस विश्वविद्यालय में कर्मकांड के अलावा ज्योतिष योग आयुर्वेद और प्रवचन के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी।
महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल
ने बताया कि इस विश्वविद्यालय में 2024 से पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। विश्वविद्यालय में मुख्य भवन के साथ ही शैक्षणिक भवन और सभी आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। खास बात यह है कि इसके लिए सभी तरह के खर्च का प्रबंध महावीर मंदिर न्यास करेगी।
जानकारीके अनुसार, यह महावीर मंदिर द्वारा स्थापित एकमात्र विश्वविद्यालय होगा जहां वाल्मीकि रामायण को केंद्र में रखकर गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस और भारतीय भाषाओं के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया में बोली जाने वाली सभी तरह की भाषाओं में रामायण पर अध्ययन करने के अलावा शोध कार्य कर सकते है।
प्रस्तावित रामायण विवि में संस्कृत व व्याकरण की पढ़ाई विशेष रूप से होगी। महर्षि पाणिनी रचित अष्टाध्यायी, पंतजलि रचित महाभाष्य और काशिका ये तीनों ग्रंथ संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई के मुख्य आधार होंगे।
बनेंगे रामायण पंडित
रामायण विवि में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री दी जाएगी। डिग्री कोर्स में स्नातक स्तर पर शास्त्री, स्नातकोत्तर के लिए आचार्य, पीएचडी के तौर पर विद्या-वारिधि और डि-लिट की उपाधि के तौर पर विद्या-वाचस्पति उपाधियां दी जाएंगी।
रामायण शिरोमणि नाम से एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स होगा। छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले रामायण पंडित कहे जाएंगे। वहीं विवि में समृद्ध पुस्तकालय के साथ रामायण, गीता, महाभारत, वेद, पुराण आदि पर शोध कार्य होंगे। आर्थिक स्वावलंबन को ध्यान में रखते हुए पांच प्रमुख विषयों में ज्योतिष, कर्मकांड, आयुर्वेद, योग और प्रवचन आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।








