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10 जून, 2024
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Gupta Navratri : ऊं जयंती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी,दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते के साथ नवरात्रि शुरू, प्रथम दिन लाल सिंदूर से हुई मां शैलपुत्री की पूजा

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षाढ़ गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का प्रारंभ आज 30 जून गुरुवार से हो गया।आज पहले दिन कलश स्थापना के साथ 10 महाविद्याओं का पूजन प्रारंभ हुआ। श्री दुर्गा सप्तशती के अर्गला स्तोत्र (Argla Strot) पाठ से संपूर्ण जगत लाभान्वित हो रहा है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के साथ, कार्यों में सफलता के लिए मां भगवती की भक्ति कर शक्ति पाने का गुप्त नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो गया।

पंचांग के मुताबिक़, आज 30 जून को प्रातःकाल से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का व्रत प्रारंभ हो गया है। आज गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है। इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती अर्गला स्त्रोत का पाठ विशेष महत्त्व रखता है। आज गुप्त नवरात्रि व्रत का प्रारंभ कलश स्थापना से हुई है।

साधक प्रातः काल शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करके 10 महाविद्याओं का पूजन प्रारंभ कर चुके हैं। साधकों को गुप्त नवरात्रि के पूजन के दौरान अर्गला स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए। साधकों को चाहिए कि अर्गला स्त्रोत का पाठ सुबह पूजा के दौरान करें या फिर रात में 12 बजे के बाद करें। इसके पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. अर्गला स्त्रोत पाठ के समय मां चामुंडा देवी का ध्यान करना होता है।

जानकारी के अनुसार, मां भगवती की भक्ति कर शक्ति पाने का गुप्त नवरात्रि गुरुवार से शुरू होते ही पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। बड़ी संख्या में भक्तों ने नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना कर भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करते हुए मंदिरों में कलश स्थापन के दर्शन किए। बताया कि सर्वार्थ सिद्धि एवं ध्रुव समेत कई शुभ योगों में यह आषाढ़ नवरात्रि शुरू हुई है।

गुप्त नवरात्रि के नौ दिन महाविद्याओं की खास साधना की जाती है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, दो बार गुप्त नवरात्रि और दो सामान्य होती है, जिसमें आषाढ़ एवं माघ मास में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि के नौ दिन मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, आडल योग, विडाल योग और ध्रुव योग बने हैं। शास्त्र के अनुसार इस दौरान किसी नए काम की शुरुआत करना एवं धार्मिक कार्य करना शुभ माना जाता है। इन योग और गुप्त नवरात्रि में सब प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

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