CAG Report में ‘Government Funds Mismanagement‘ का बड़ा खुलासा, Universities से लेकर Agriculture तक गड़बड़ी, 48.5 Crore का वेतन भुगतान बिना Verification? Kameshwar Singh Darbhanga Sanskrit University का भी नाम शामिल @ दरभंगा / पटना | भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में भारी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
कैग रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बिहार के विश्वविद्यालयों को मिले 252.74 करोड़ के अनुदान में से 101.53 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया।
इसके अलावा, स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षा परिणाम 946 दिनों तक विलंब से जारी किए गए, जिससे छात्रों को काफी असुविधा हुई। बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
रिपोर्ट में भवन निर्माण, कृषि सहायता योजना, विश्वविद्यालयों की वित्तीय अनियमितताओं और विकास योजनाओं में भारी गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है।
1. बिहार के विश्वविद्यालयों में वित्तीय अनियमितता
48.5 करोड़ का भुगतान बिना सत्यापन: शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मियों को बिना उचित सत्यापन के वेतन भुगतान कर दिया गया।
22576.33 करोड़ का बजट प्रावधान था, लेकिन 18% खर्च ही नहीं हुआ।
कामेश्वर सिंह दरभंगा विश्वविद्यालय में सातवें वेतनमान के तहत 14.41 करोड़ का भुगतान, लेकिन आयकर अधिनियम का उल्लंघन कर 4.32 करोड़ की कटौती नहीं हुई। इसके अलावा, रिपोर्ट में अनियमित वेतन वितरण की भी बात कही गई है।
ऑडिट किए गए 11 विश्वविद्यालयों में से पांच में वेतन सत्यापन सेल के माध्यम से सत्यापन किए बिना शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों को 48.28 करोड़ रुपये का वेतन बकाया दिया गया।
दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में, 201 शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के बकाया के रूप में 4.32 करोड़ रुपये आयकर में कटौती किए बिना 14.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।
22 शिक्षकों को सीपीसी बकाया के रूप में 0.59 करोड़ का अधिक भुगतान किया गया।
1795 पात्र कर्मचारियों में से 1453 (81%) का अस्थायी सेवानिवृत्ति खाता नंबर (PRA) नहीं बनाया गया।
शिक्षक पदों के 57% और गैर-शिक्षक पदों के 56% पद रिक्त।
2. बिहार राज्य फसल सहायता योजना में गड़बड़ी
50 लाख से अधिक सत्यापित आवेदनों में से 26.30 लाख आवेदन निरस्त कर दिए गए।
1424.59 करोड़ की वित्तीय सहायता में से 867.36 करोड़ का भुगतान 21 महीने की देरी से हुआ।
13 ग्राम पंचायतों के 12398 लाभार्थियों से संबंधित 15.60 करोड़ का भुगतान सत्यापन के अभाव में रोक दिया गया।
3. बाढ़ नियंत्रण कार्य में गड़बड़ी
सरकार के फैसले से 21.98 करोड़ का अतिरिक्त खर्च।
2018-2020 तक पुराने सीमेंट बोरे (4.31 रु./बोरा) का उपयोग किया गया, लेकिन 2021 में नए बोरे (9.11 रु./बोरा) खरीदे गए, जिससे खर्च 59% बढ़ गया।
4. विकास योजनाओं में अनियमितता
विश्व बैंक की 476.90 करोड़ की सहायता से बिहार वंचित रह गया।
बिहार ग्रामीण विकास एजेंसी ने उच्च ब्याज दर पर ऋण लिया, जिससे 7.08 करोड़ का अधिक भुगतान हुआ।
स्वास्थ्य विभाग में अनुमंडलीय अस्पताल निर्माण पर 4.89 करोड़ खर्च किया, लेकिन 10 वर्षों से जर्जर हालत में पड़ा।
नीरा परियोजना पर बिना उचित आकलन के 11.68 करोड़ खर्च किया गया, लेकिन मशीनरी बेकार रही।
गुड़ उत्पादन में 2.03 करोड़ की हानि।
टोल प्लाजा निर्माण में सड़क परिवहन मंत्रालय के नियमों का उल्लंघन, 1.48 करोड़ का नुकसान।
निष्कर्ष
कैग रिपोर्ट बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में भारी वित्तीय गड़बड़ियों को उजागर करती है। बजट के दुरुपयोग, अनियमित वेतन भुगतान, फसल सहायता योजना में देरी, निर्माण कार्यों में लापरवाही और विश्व बैंक की सहायता से वंचित रहने जैसे मुद्दे बिहार की वित्तीय प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं।