इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली अनुसूचित जातियों को महत्वपूर्ण संसाधन और निवेश प्रदान करके इनका आर्थिक विकास करना है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र, जाले इस परियोजना अंतर्गत जाले प्रखंड के ततैला ग्राम को गोद लिया है। उन्होंने बताया कि इस वर्श रबी फसल में 20 एकड़ क्षेत्रफल के लिए ततैला ग्राम में तोरी का बीज वितरण किया जा रहा है।
केंद्र की कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ अंजलि सुधाकर ने आज के इस कार्यक्रम के दौरान अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत तोरी की वैज्ञानिक खेती के विषय में ततैला ग्राम के किसानों को बताया।
उन्होंने बताया कि तोरी के लिए बीच दर 2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले बीच उपचारण के लिए 2 ग्राम थिरम, बेवसटीन या कैप्टन नामक दवा से प्रति किलो बीज़ की दर से करना चाहिए। उन्होंने तोरी के लिए मिट्टी जांच के अनुसार गंधक जिंक और बोरोन का प्रयोग करने की सलाह दी।
खरपतवार नियंत्रण हेतु 1 लिटर पेनडीमिथिलीन प्रति एकर के हिसाब से प्रयोग करने को कहा। उन्होंने तोरी में लगने वाली कुछ प्रमुख कीड़ों और बीमारियों के बारे में भी किसानों को बताया। प्रशिक्षण उपरांत उपादान वितरण का कार्य किया गया। लाभार्थी सतोहन राम, विवेक पासवान, रीता देवी प्रमिला देवी आदि उपस्थित रहे।