दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। दरभंगा के पूर्व सांसद सह कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद ने कहा कि यूजीसी निजी विश्वविद्यालयों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पिछड़े क्षेत्रों के विश्वविद्यालयों में शिक्षा विस्तार में लगे दूरस्थ (, if the recognition of the Directorate of Distance Education ends, the movement will happen) शिक्षा को समाप्त करने का षडयंत्र कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने कहा कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के(Kirti Azad said in Darbhanga, if the recognition of the Directorate of Distance Education ends, the movement will happen) दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की मान्यता समाप्त हुई, तो इस क्षेत्र में छात्रों का एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
कहा, स्नातक स्तर पर सामान्य अध्ययन की पढाई नहीं होती है, फिर भी परीक्षा लिया जाता है। अंगीभूत कालेजों में छात्रों की संख्या में तीन सौ प्रतिशत तक की वृद्धि पिछले दो दशकों में हुई है। लेकिन इस दौरान शिक्षक, कर्मचारियों का एक भी पद सृजित नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि मिथिला विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था सुशासन की सरकार के लिए कलंक साबित हो रही है और विश्वविद्यालय महज डिग्री बांटने वाली एक संस्था बनकर रह गई है। बिना पद व अहर्ता प्राप्त शिक्षकों के वोकेशनल पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। (Kirti Azad said in Darbhanga, if the recognition of the Directorate of Distance Education ends, the movement will happen)
उन्होंने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों में महज 747 शिक्षक तथा 1043 कर्मचारी कार्यरत हैं। जबकि तीन लाख छात्र अध्ययनरत हैं। यह तो गनीमत है कि छात्र कम संख्या में कालेज (Kirti Azad said in Darbhanga, if the recognition of the Directorate of Distance Education ends, the movement will happen) पहुंच रहे हैं। यदि नामांकित सभी छात्र एक साथ कालेज पहुंच जाएं, तो संभव है कि कई कालेज परिसरों में उनके खडे रहने की जगह भी कम पड़ जाए।
आजाद ने राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि सेवानिवृत्त विश्वविद्यालय शिक्षकों के नवंबर के पेंशन तक जारी नहीं की गई है। जिससे संबंधित शिक्षकों के बीच भारी आक्रोश व्याप्त है। संबद्ध कालेजों के कार्यरत लगभग पच्चीस सौ शिक्षकों का पिछले आठ वर्षों का अनुदान राज्य सरकार विरमित नहीं कर रही है।
कहा, कोरोना के इस (Kirti Azad said in Darbhanga, if the recognition of the Directorate of Distance Education ends, the movement will happen) संकट काल में शिक्षक व कर्मचारी त्राहि-त्राहि कर कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल छात्रों का भी है। विश्वविद्यालय क्षेत्र में परीक्षा पद्धति में समानता नहीं होने से दरभंगा के छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय आउटसोर्सिंग से चल रहा है। स्थाई नियुक्ति नहीं होने से कार्य संस्कृति अब समाप्त होने के कगार पर है।