धमकी से तोर दिलेर ना डरी, शेरबा के आगे सियार का करी, कौन विरोध तोरे छाती पर चढ़ी…इस गाने का स्टेटस करीब दस दिनों पूर्व कथित पुलिस मेंस एसोसियेशन के अध्यक्ष राजू यादव के व्हाट्सएप स्टेटस में लगा हुआ था। लेकिन, स्टेटस के इस गाने को उसने चरितार्थ भी कर दिया। पढ़िए Sanjay Kumar Roy की यह Report
एसएसपी और आईजी के तमाम कोशिशों के बाद भी इस जिले से विरमित हुये किसी सिपाहियों ने पदस्थापित जिलों में योगदान नहीं दिया। ये सिपाही योगदान तो तब करते जब यहां से कमान लेते।
एक महीना से ज्यादा बीत गया। लेकिन, किसी सिपाहियों ने कमान लेकर दूसरे जिला में योगदान देना अनुशासन के मातहत काम करना उचित नहीं समझा। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक सिपाही सभी वरीय पुलिस अधिकारियों को ठेंगा दिखाते रहा और एसएसपी/आईजी मूकदर्शक बने रहें।
अब सवाल उठता है कि ऐसे सिपाहियों का आंका कौन हैं? कहीं उन आंकाओं के फोन से एसएसपी और आईजी प्रभावित तो नहीं हैं? ऐसे आंकाओं का भी जवाब है कि यहां किसी के दबाव से विभाग तो नहीं चलेगा? पुलिस अनुशासनिक विभाग हैं।
और, इसकी अवहेलना अगर कोई भी करते हैं तो देर- सवेर ही सही पर कार्रवाई जरूर होगी। अगर एसएसपी और आईजी शिथिलता बरतते हैं तो उनसे भी बड़े अधिकारियो का सवाल जवाब हो सकता हैं। ऐसे सिपाहयों के विरमित होने के बाद स्थानांतरित जिला में योगदान नहीं देने के मामले में पुलिस महानिदेशक ने पांच दिसंबर 22 को जिला के सभी आईजी, डीआईजी, एसएसपी को पत्र के माध्यम से कहा है कि कोई भी एसोसियेशन संविधान और नियम के दायरे में चलता है।
और, कोई भी संगठन पॉकेट संगठन न हो जाय यह देखना पुलिस मुख्यालय का काम हैं। बिहार पुलिस मेंस एसोसियेशन/पुलिस एसोसियेशन अपने उदेश्य से भटके नहीं तथा यह ट्रेड यूनियन न बन जाय इसलिये समय-समय पर पुलिस मुख्यालय आवश्यक कदम उठाती रही हैं।
पुलिस महानिदेशक ने अपने अधिसूचना संख्या 138 दिनांक 30/03/22 को अपने पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया हैं कि निरीक्षक से सिपाही तक एक जिला में पांच साल और एक क्षेत्र में आठ साल निर्धारित किया हैं। ऐसे में कोई पुलिस कर्मी वर्षों से जमे हैं तो इन पुलिसकर्मियों को स्थानांतरण करने के बाद ही चुनाव कराना नियम संगत हैं।
लेकिन, कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं कि नियमों को ताख पर रखकर सारा काम करते हैं। आईजी और एसएसपी/एसपी से ताल-मेल कर अपना सामंजस्य करा लेते हैं। और, चुनाव लड़ जाते हैं। और, जीतने के बाद नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये जिला में बने रहते हैं।
इस मामले को देशज टाइम्स ने प्रमुखता से कई बार उजागर किया। इस आलोक में पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर दरभंगा के आईजी ललन मोहन प्रसाद ने पुलिस मेंस एसोसियेशन के चुनाव को रद करते हुये सभी सिपाहियों को दूसरे जिला के लिये विरमित कर दिया। ठीक इसके बाद कथित अध्यक्ष राजू यादव ने दस दिनों की छुट्टी लें ली।
वरीय पदाधिकारियों को जब इसकी सूचना मिली तो उनके निर्देश पर इनका छुट्टी रद कर दी गई। इसके बाद भी ये सिपाही कमान लेकर स्थानांतरित जिला नहीं गये। फिर एक सिपाही को कमान देकर इन्हें खोजने के लिये तैनात किया गया। लेकिन, एक महीना बीतने को हैं। उसने अपनी हेकड़ी जिला के तमाम पुलिस पदाधिकारियों को दिखाते रहा हैं।
देशज टाइम्स इन मुद्दों को लेकर खबर प्रकाशित कर रहा है, ताकि पुलिस विभाग में अनुशासन बना रहें। हालांकि देशज टाइम्स की खबरों पर डीजीपी भी संज्ञान ले रहें हैं। यही नहीं, एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार भी इस मामले को लेकर गंभीर हैं।
डीजीपी ने एक बार फिर नियम कायदे और कानून से एसएसपी और आईजी को अवगत कराया है। अब देखना है कि एसएसपी साहब कब तक इन लोंगों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे या फिर इन सिपाहियों की तरह डीजीपी के आदेश को हवा हवाई कर देंगे।
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