दरभंगा के तत्कालीन डीएसपी (मुख्यालय) अरशद जमां की पेंशन राशि में नब्बे फीसद कटौती कर दी गई है। यह कटौती अगले दस वर्षों तक जारी रखने का निर्देश दिया गया है।
दरअसल, सरकार ने बिहार के दो आईपीएस का निलंबन छह माह के लिए बढ़ाते हुए दरभंगा के तत्कालीन डीएसपी अरशद जमां की पेंशन से नब्बे फीसद की कटौती अगले दस सालों तक करने का आदेश दिया है।
जानकारी के अनुसार, गया और पूर्णिया के तत्कालीन एसएसपी की निलंबन अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी गई है। आईपीएस दया शंकर और आईपीएस आदित्य कुमार की निलंबन अवधी 15 अप्रैल 2023 को समाप्त हो रही है।
इधर, दरभंगा के तत्कालीन डीएसपी (मुख्यालय) अरशद जमां पर लगे आरोप की सरकार ने सजा यह दी है कि उनका पेंशन दस सालों तक कटता रहेगा। उनपर आरोप यह है कि दरभंगा में तैनाती के दौरान एक मामले में उन पर पटना के कोतवाली थाना में मुकदमा दर्ज है।
साथ ही उनके खिलाफ 2003 में गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया था। उनके खिलाफ मुकदमा भी चल रहा है। विभागीय कार्रवाई भी चलाई गई, जिसके बाद उन्हें दोषी पाते हुए यह सजा दी गई है।
मुंगेर के तत्कालीन डीआईजी 2007 बैच के आईपीएस मो. शफीउल हक को निलंबन से मुक्त करते हुए पुलिस मुख्यालय में योगदान करने का आदेश दिया गया है।
गृह विभाग ने इससे संबंधित आदेश जारी करते हुए कहा है कि निलंबन से तत्काल प्रभाव से मुक्त करते हुए उन्हें पुलिस मुख्यालय में पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखा गया है। उन पर मुंगेर में तैनाती के दौरान एक दारोगा मो. उमरान और एक अन्य निजी व्यक्ति से उगाही करवाने का आरोप था।
इस मामले की जांच ईओयू से कराने पर यह पूरी तरह से सही पाया गया। इसके बाद उन्हें नवंबर 2011 को निलंबित कर दिया गया। अब उन्हें निलंबन मुक्त किया गया है।
इसके अलावे, आईपीएस दया शंकर पर आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में विशेष निगरानी इकाई ने 10 अक्टूबर 2022 को मामला दर्ज किया था। साथ ही उनके सभी ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई भी की गई थी।
इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। तब से वे निलंबित ही चले आ रहे हैं। उनके खिलाफ मामला कोर्ट में भी चल रहा है। जबकि, गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में जालसाजी, आपराधिक षडयंत्र, आईटी एक्ट समेत अन्य संगीन मामलों में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई कर रही है।
6 जनवरी 2023 को उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का भी आदेश जारी कर दिया गया है। वे अब तक एक बार भी जांच पदाधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। फिलहाल इस मामले में आईपीएस आदित्य फरार चल रहे हैं।