अप्रैल,29,2024
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32 साल हो गए Jainagar को अनुमंडल का दर्जा मिले, मूलभूत व आधारभूत सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे लोग

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  • हर छोटे – मोटे काम के लिए 10 लाख की आबादी की जिला मुख्यालय पर बनी हुई है निर्भरता

जयनगर अनुमंडल के 32 साल पूरे हो जाने के बाद भी यहां मूलभूत व आधारभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। अनुमंडल में जयनगर, लदनिया ,बासोपट्टी सहित तीन प्रखंड एवं 5 थाना अवस्थित हैं। नेपाल सीमा से सटे होने के कारण सभी बॉर्डर पर सशस्त्र सीमा बल की नियुक्ति की गई है। अनुमंडल के लगभग 10 लाख की आबादी वाले क्षेत्र में एग्रीकल्चर तकनीकी शिक्षण संस्थान ,न्यायपालिका,कृषि महाविद्यालय,सहकारिता एवं ऑफिस को लेकर जिला मुख्यालय दौड़ना पड़ रहा है।

 

 

वहीं 100 बेड वाले अनुमंडलीय अस्पताल में सिर्फ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं दिये जाने के कारण मरीजों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। जयनगर अनुमंडल बनने के बाद भी कई सुविधाओं से वंचित है।

 

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जनता विकास खोज रही। इसका जवाब किसी भी जनप्रतिनिधि के पास नहीं है।जयनगर को 1911 ई में यूनियन कमिटी,1955 में अधिसूचित क्षेत्र समिति ,1991 में अनुमंडल एवं 2001 में नगर पंचायत का दर्जा मिला।32 सालों में सिर्फ बढ़ी है जमीन की कीमत।अनुमंडल बनने के 32 साल बाद भी 10 लाख की आबादी को हर छोटे-मोटे काम के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ रहा है अन्य अनुमंडल क्षेत्र में न्यायपालिका,जेल सहित अन्य सुविधाओं की बढ़ोतरी की गई है। मगर सीमावर्ती क्षेत्र होने के बाद भी शिक्षण संस्थान सहित अन्य सुविधाओं का विस्तार न हो सका।

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इस संबंध में अधिवक्ता वीरेंद्र झा,श्याम किशोर सिंह,राणा प्रताप, समाजसेवी अरुण जैन रामप्रसाद राउत,छात्र नेता बौआ झा ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र जयनगर में व्यवहार न्यायालय,जेल,ट्रेजरी ऑफिस सहित शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में नई संस्थाओं का निर्माण जल्द हो जिससे स्थानीय लोगों को जिला मुख्यालय सहित अन्य जगह ना जाना पड़े जिससे कम समय के साथ पैसे की बचत आम लोगों को हो एवं सीमावर्ती क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हो।

 

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विधायक अरुण शंकर – “खजौली विधानसभा के सीमावर्ती जयनगर अनुमंडल के विकास को लेकर मैं लगातार प्रयासरत हूँ “

इस संबंध में स्थानीय विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने बताया कि जयनगर अनुमंडल के विकास को लेकर वो हमेशा सदन में इसकी चर्चा उठाते आए हैं आने वाले समय में हाईकोर्ट के निर्देश पर व्यवहार न्यायालय एवं जेल जैसी सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। वहीं केंद्र सरकार की कई योजनाओं को राज्य सरकार के सौतेलापन व्यवहार के कारण अभी तक सही डेवलपमेंट नहीं हुआ है। खजौली विधानसभा के सीमावर्ती जयनगर अनुमंडल के विकास को लेकर वो हमेशा तत्पर रहते हैं।

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