मधुबनी, देशज न्यूज। 14 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की गोलियों से मधुबनी शहर के नीलम चौक पर अकलू साह व गणेशी ठाकुर शहीद हो गए थे। देश की आजादी के बाद शहर के नीलम चौक पर सीपीआई व स्थानीय लोगों ने दोनों महान सपूतों की याद में एक स्मारक बनाया। मकसद था, उन दोनों महान व्यक्तियों को आने वाली पीढ़ी याद रखें।
मगर, मधुबनी शहर के कुछ व्यक्तियों की ओर से शहीदों को जातियों में बांटने व उनकी यादों को दफनाने की साजिश की गई है। नगर विकास योजना की राशि करीब साढ़े चार लाख की लागत से शहर के नीलम चौक पर शहीद स्मारक बनाया गया। शहीद अकलू साह व गणेशी ठाकुर की आदमकद मूर्ति स्थापित करना था। परंतु जातिवाद कर, उक्त स्थान पर सिर्फ शहीद अकलू साह की मूर्ति स्थापित की गई।
शहीद गणेशी ठाकुर को नजर अंदाज कर दिया गया। नीलम चौक पर वर्षों से सीपीआई की ओर से एक छोटा सा स्मारक बनाकर हर वर्ष 14 अगस्त को दोनों शहीद अकलू साह व गणेशी ठाकुर को याद किया जाता रहा है।
शहीदों के अपमान का आक्रोश मधुबनी शहर में बढ़ता जा रहा है। सीपीआई जिला सचिव मिथिलेश झा ने बताया, इस संबंध में नगर विकास मंत्री व जिलाधिकारी को आवेदन दिया गया है। इसके बाद प्रशासनिक तौर पर बने गेट पर नाम व मूर्ति स्थापित करने की बात कही गई है।
मिथिलेश झा ने देशज टाइम्स को बताया, अगर जल्द शहीद गणेशी ठाकुर का नाम व मूर्ति स्थापित नहीं किया गया तो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे। दूसरी ओर, जेपी सेनानी हनुमान प्रसाद राउत ने बताया, शहीद का अपमान हुआ है।
उन्होने सरकार व प्रशासन से मांग की है, जिन लोगों ने शहीद अकलू साह के जाति सूचक शब्द का प्रयोग किया है। शहीद गणेशी ठाकुर का नाम व मूर्ति नहीं लगाकर अपमान किया है, वैसे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।(angrejo ko)