मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। देश में लाॅकडाउन के बाद बिहार सरकार अपने राज्य के मज़दूरों को रोजगार के लिए लाभदायक मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना की नल-जल योजना व मनरेगा योजना को माना था। सरकार इन दोनों योजनाओं पर जोर भी दिया ताकि मज़दूरों को रोजगार मिलता रहे।
वहीं, बरसात को देखते हुए सरकार ने नल-जल योजना को जल्द पूरा करने के लिए समय तय किया। इसके बाद पंचायत प्रतिनिधियों के लिए सबसे ज्यादा लाभयायक योजना नल-जल पर जोर भी दिया जा रहा है। अब आलम यह है, इस योजना को बिना मज़दूर के ही कराया जा रहा है। जिस जल-नल योजना से मज़दूरों को रोजगार मिल रहा था उस योजना का कार्य जेसीबी koi-hai-jo-jach-kare से कराया जा रहा है।
जेसीबी की ओर से नल-जल योजना के लिए गड्ढ़े की खोदाई की जा रही है। वैसे, इस योजना को पूरा करने के लिए जिले के ज्यादा तर मुखिया व वार्ड सदस्यों की ओर से ठेके पर जेसीबी से खोदाई का कार्य कराया जा रहा है। रहिका प्रखंड क्षेत्र के बसुआरा व मलंगिया में जेसीबी से जल-नल का कार्य जोरों पर जेसीबी से हो रहा है। इस कारण स्थानीय मज़दूरों को रोजगार मिलना भी मुश्किल अब होने लगा है।
सरकार का आदेश था, koi-hai-jo-jach-kare जल-नल व मनरेगा योजना में राशि की कमी नही होने दी जाए। क्योंकि बाहर से आए अपने मज़दूरों को इसी योजना से रोजगार दिया जाना है। परंतु जमीनी हकीक्त कुछ और ही है। यह योजना मज़दूरों से कम व जेसीबी से ज्यादा कराया जा रहा है।
सूत्रों की मानें koi-hai-jo-jach-kare तो इस योजना में जेसीबी नही दिखाकर फर्जी मज़दूरों की सूची बनाकर राशि का उठाव कर लिया जाता है। खासकर नल-जल योजना पंचायत के मुखिया व वार्ड सदस्य के लिए सोना की चिड़िया के अंडे जैसी है। koi-hai-jo-jach-kare इस योजना की सही जांच की जाए तो कितने पंचायल प्रतिनिधि पर कार्रवाई तय है।