अप्रैल,28,2024
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खुद की सरकार, कटघरे में नीतीश कुमार…! BJP नेता कर रहे अपनी ही सरकार की धुलाई, पहले रूडी ने धोया, आज प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने धो डाला…लोग तो पूछेंगे ही…तेरे मेरे बीच में कैसा है बंधन…?

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बिहार जदयू और भाजपा के संबंध अब दिन-प्रतिदिन खटास होते जा रहे हैं। टारगेट पर नीतीश कुमार हैं। वह मुख्यमंत्री हैं। देश के सर्वोपरि नेता माने जाते हैं। इनके शासन और सुशासन की दुहाई दी जाती है।

क्या से क्या हो रहा है बेवफा तेरे प्यार में
मगर, इन दिनों नीतीश सरकार के सबसे अहम दल बीजेपी ही विपक्ष से ज्यादा नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। एक दिन पहले राजीव प्रताप रूढ़ी नीतीश सरकार पर भड़ास निकालते हैं अगले ही दिन प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल हमलावर हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी काम-काज और विकास की बात बेमानी दिख रही है। ऐसे में, दोनों दलों के सत्ता में रहकर बयानबाजी वह भी रोज-रोज की करने को लेकर लोग अब सीधे सवाल दाग रही है। पूछ रहे हैं लोग, क्या से क्या हो रहा है बेवफा तेरे प्यार में, आखिर तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन…अंजाना या पहचाना…पढ़िए पूरी खबर

बात चाहे जातिजनगणना की हो, शराबबंदी की या फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के नाम पर बीजेपी और जदयू के बीच तलवार निकल ही रही है। बीजेपी और जेडीयू के बीच यह जंग कहां जाकर रूकेगी कहना समझना मुश्किल।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हर दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोट कर के बिहार की ओर ध्यान देने की बात कर रहे हैं। वहीं बीजेपी के नेता हमेशा इस बात को नकार रहे हैं। साफ कहते हैं, अपनी भड़ास आज फिर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पर लंबा-चौड़ा पोस्ट करके जेडीयू को घेरा जमकर निशाना साधा है।
संजय जायसवाल ने फेसबुक पर एक डाटा शेयर करते लिखा है,
डाटा यह बताने में सक्षम है कि केंद्र सरकार बिहार का कितना ध्यान रखती है। उन्होंने जेडीयू नेताओं पर तंज कसते हुए लिखा है कि खुद की कमी दूर नहीं करते हैं और नीति आयोग की शिकायत करते रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए उद्योग को बढ़ावा देना जरूरी है।
इससे पहले ठीक एक दिन पूर्व बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग कर रहे जेडीयू नेताओं को बीजेपी की ओर से राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने करारा जवाब दिया। कहा, बिहार में अगर निवेश कराना है। विकास करना है तो इसके लिए नीति होनी चाहिए। विशेष दर्जा से निवेश नहीं आ जाता है।
रूडी ने कहा
यह बेहद दुखद स्थिति है। नीति आय़ोग की रिपोर्ट में बिहार सबसे पिछड़ा राज्य साबित हो रहा है। देश में पिछड़े माने जाने वाले तमाम दूसरे राज्य पिछड़ेपन से बाहर निकल गए। मगर, बिहार पिछड़ता चला गया। बिहार के विकास के लिए नीति बनाना जरूरी है।
बगैर नीति के किसी चीज की मांग सही नहीं
रूडी ने कहा, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग के पीछे सोच यही है, विशेष दर्जा मिलने से बिहार में निवेश होगा। मगर यह नहीं समझा जा रहा, निवेश विशेष राज्य के दर्जा से नहीं होता, निवेश के लिए नीति होना जरूरी है, जो बिहार में नहीं है।
बिहार पहले यह तो स्पष्ट करे कृषि, इंफ्रास्ट्रक्टर, आईटी, बाढ़ प्रबंधन के लक्ष्य क्या हैं। बिहार में ऐसे मसलों पर कोई रोडमैप नहीं है। जब बिहार सरकार रोडमैप बना ले तब केंद्र सरकार के पास जाकर मदद मांगे। बगैर नीति के किसी चीज की मांग सही नहीं।
पढ़िए क्या लिखा है बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पर
नीचे दिया गया डाटा यह बताने में सक्षम है कि केंद्र सरकार बिहार का कितना ध्यान रखती है। महाराष्ट्र की आबादी बिहार से एक करोड़ ज्यादा है फिर भी बिहार को महाराष्ट्र के मुकाबले 31हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलते हैं। बंगाल भी बिहार की भांति पिछड़ा राज्य है पर उसके मुकाबले भी बिहार को 21हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलता है।

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दक्षिण भारत के राज्यों की हमेशा शिकायत रहती है कि केंद्र सरकार हमें कम पैसे देती है क्योंकि हमने आबादी को 70 के दशक में ही केंद्र की नीतियों के कारण रोक लिया था।अब केंद्र सरकार इसको अपराध मानती हैं।
जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा बिहार जैसे राज्य को हुआ है। पहले जिस राज्य में उद्योग स्थापित होते थे उनको अलग से कमाई होती थी ।अब इस कमाई का बडा़ हिस्सा उपभोक्ता राज्य में बंटता है जिसके कारण बिहार को 20हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फायदा हुआ है।

बिहार को अगर आगे बढ़ाना है तो सरकार को ये लक्ष्य रखने ही होंगे।
1. बिहार सरकार को हर हालत में उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। जब तक हम औद्योगिक नीतियां लाकर नए उद्योगों को बढ़ावा नहीं देंगे तब तक ना हम रोजगार देने में सफल हो पाएंगे और ना हीं बिहार की आय बढ़ेगी। शाहनवाज हुसैन अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर पूरे मंत्रिमंडल का सहयोग आवश्यक है।

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2. जहां भी संभव हो वहां प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप होनी चाहिए। उद्योग लगाने वालों को विलेन समझने की मानसिकता बिहार को कहीं का नहीं छोड़ेगी । बड़ौदा बस स्टैंड विश्व स्तर का है पर ऊपर की मंजिलों में दुकानें खोलकर सारी राशि की भरपाई कर ली गई और गुजरात सरकार का एक पैसा भी नहीं लगा। वैसे ही, गांधीनगर के पूरे साबरमती फ्रंट का डेवलपमेंट उसी में एक निश्चित भूमि प्राइवेट हाथों में देकर अनेक पार्क सहित पूरे फ्रंट को विकसित करने का कीमत निकाल लिया गया।

3. हम 6 वर्षों में भी प्रधानमंत्री जी के दिए हुए पैकेज का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं।अभी भी दस हजार करोड रुपए से ज्यादा बकाया है ।एक छोटा उदाहरण मेरे लोकसभा का रक्सौल हवाई अड्डा है जिसके लिए प्रधानमंत्री पैकेज में ढाई सौ करोड़ रुपए मिल चुके हैं पर बिहार सरकार द्वारा अतिरिक्त जमीन नहीं देने के कारण आज भी यह योजना रुकी हुई है।

प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में भी बिहार को हजारों करोड़ रुपए मिलने हैं । अगर हमने भूमि उपलब्ध नहीं कराया तो ये किस्से कहानियों की बातें हो जाएंगी।

4. केंद्र सरकार की योजनाओं का समुचित उपयोग करना होगा ।जैसे बिहार सरकार के जल नल योजना में केंद्र की 50% राशि लगी है जिसका इस्तेमाल हम पंचायती राज की अन्य योजनाओं में कर सकते थे और जल नल योजना की राशि सीधे जल संसाधन विभाग से ले सकते थे। पिछले वित्तीय वर्ष में 6 हजार करोड़ की राशि बिहार सरकार को आवंटित की गई थी पर जल नल योजना के मद में हमने यह पैसे नहीं लिए।इस तरह की राशियों का सही उपयोग हमें करना होगा।

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5. जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें स्वयं काम करना होगा। केवल यह सोच कि समाज स्वयं शिक्षा के साथ जनसंख्या को नियंत्रित कर लेगा, के चक्कर मे बहुत ही देर हो जाएगी। आज भी हम जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कोई अभियान नहीं चला रहे हैं जबकि इसमें भी बिहार पूरे देश में सबसे ज्यादा फिसड्डी है।

अगर केरल के अस्पताल 100 बेड जोड़ते हैं तो प्रति हजार व्यक्ति में इसका इजाफा दिखता है। हम 200 बेड भी जोड़ते हैं तो 300 बच्चे पैदा करने के कारण वह नीति आयोग के आंकड़े में कहीं नहीं दिखता और हम अपनी कमी दूर करने के बजाय नीति आयोग की शिकायत करते हैं।

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जब हमने एक अच्छे लक्ष्य के लिए गुजरात की भांति 15 हजार करोड़ रुपए की तिलांजलि दी है तो सरकारी राशि का उपयोग होटल और बस स्टैंड जैसी योजनाओं में सैकड़ों करोड़ खर्च करके भवन निर्माण विभाग को खुश करने के बजाय गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए।

पीपीपी मोड में इन सब चीजों को बनाने से सरकार का एक पैसा भी नहीं लगेगा उल्टे उसकी आमदनी बढ़ेगी। वैसे भी फाइव स्टार होटल बनाना सरकार का काम नहीं है। 2020 में एनडीए सरकार का गठन आत्मनिर्भर बिहार के 7 निश्चय के आधार पर हुआ था। हमें इस मूल मुद्दे से कभी भटकना नहीं चाहिए।

खुद की सरकार, कटघरे में नीतीश कुमार...! BJP नेता कर रहे अपनी ही सरकार की धुलाई, पहले रूडी ने धोया, आज प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने धो डाला...लोग तो पूछेंगे ही...तेरे मेरे बीच में कैसा है बंधन...?
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