Bihar DGP का सख्त निर्देश — लापरवाही बर्दाश्त नहीं, Bihar देश में पहला राज्य जहां…पढ़िए @पटना| बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विनय कुमार ने राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को सख्त निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच 60 दिनों के भीतर पूरी की जाए।
Bihar DGP के अहम निर्देश
अधिनियम के मामलों की जांच में कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
मामले को लटकाने वाले जांच अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाएगा।
अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में दोषियों को सजा दिलाने की गति तेज की जाए।
प्रशिक्षण-सह-संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
डीजीपी ने मंगलवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन में एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-संवेदीकरण कार्यशाला का उद्घाटन किया।
इसका आयोजन सीआईडी (कमजोर वर्ग) और बिहार सरकार के अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग ने संयुक्त रूप से किया।
सजा दिलाने की दर बेहद कम
बिहार में हर साल 6,000 से 7,000 केस दर्ज होते हैं, लेकिन सजा दिलाने की दर 10% से भी कम है।
डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि मामलों की जांच तेजी से कर दोषियों को जल्द सजा दिलाई जाए।
बिहार में अनुसूचित जाति-जनजाति थानों की स्थिति
बिहार पहला राज्य है, जहां सभी 40 पुलिस जिलों में अनुसूचित जाति-जनजाति थाने कार्यरत हैं।
जबकि देशभर में केवल 140 जिलों में ही ऐसे थाने हैं।
सभी एससी/एसटी थानों में एससी/एसटी वर्ग से आने वाले अधिकारियों की तैनाती की गई है।
फर्जी मामलों की जांच के निर्देश
डीजीपी ने स्वीकार किया कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत कई फर्जी मामले दर्ज कराए जाते हैं।
जांच अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि ऐसे मामलों की गहराई से जांच कर फर्जी मुकदमों का तुरंत निपटारा किया जाए।
किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने की साजिशों का पर्दाफाश करने का भी निर्देश दिया गया।
निष्कर्ष
डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की निष्पक्ष और तेजी से जांच सुनिश्चित करने का आदेश दिया है, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके और निर्दोष व्यक्तियों को फर्जी मामलों में फंसने से बचाया जा सके।