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7 जुलाई, 2024
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Bihar Election 2025: नीतीश जी बीजेपी इम्तिहान लेती है…

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2025 फिर से...'प्रक्रिया है' नीतीश...संकट ते हनुमान छुड़ावै। कहते हैं, हनुमान जी दस तरीके के बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं। राम भला करे। हनुमान को समझाए। तभी बात बनेंगी। कारण, जो दिखता है। जो दिख रहा है। जो दिखने वाला है। कुछ-कुछ संशय, शक में झांक रहा है। पर्दे के पीछे कौन है? क्या सबकुछ ठीक है? अगर हां, बीच में प्रक्रिया का प्रवेश...हलचल है। यही प्रक्रिया है...बिहार में एनडीए की अगर जीत होती है तो बोर्ड से तय होगा सीएम कौन बनेगा? वैसे, एनडीए का स्लोगन 2025 फिर से नीतीश है। यह बात, एनडीए की हर मीटिंग में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल दोहरा रहे हैं। लेकिन, बीच में जिस प्रक्रिया की उत्पत्ति हुई है। वह, जदयू के लिए बेहद कठोर, अनुभव से सीख लेने को बाध्य कर रहा है। यानि, बिहार में चुनाव के बाद संसदीय बोर्ड की बैठक में तय होगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा? सवाल है, मान्य किसे है? मानेगा कौन? क्या जदयू को है यह कुबूल? या गुंजाइश बाकी है? क्योंकि, यह बिहार है। यहां, पल-पल दिल के पास जो दिखता है। क्षण में टूट जाता है। बंधन की कड़कड़ाहट में झटके ही झटके हैं। इसे बिहार ने भोगा है। जाना है। देखा है। तभी तो यकीं की गुंजाइश बाकी है। भरोसे को इम्तिहान देना है। क्या जदयू इम्तिहान देने को तैयार है? खबर यहीं से है...

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देशज टाइम्स | Highlights -

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पटना, देशज टाइम्स ब्यूरो रिपोर्ट। बिहार चुनाव से पहले NDA में बढ़ी सियासी हलचल के मायने क्या हैं? मुख्यमंत्री पद पर संशय आज भी क्यों बरकरार है? गृहमंत्री अमित शाह, फिर डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा, इसके बाद अब प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल संसदीय बोर्ड से सीएम फेस तय करने की बात कर रहे हैं। यह एनडीए का मजबूत पक्ष है या कमजोर होने की पहली तस्वीर…?

🔹 सीएम नीतीश कुमार का पंद्रह सेंकेंड का भाषण

जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने पटना के गांधी मैदान में दलित समागम में सीएम नीतीश कुमार का पंद्रह सेंकेंड का भाषण, सवालों में है। इसपर भी चर्चा करेंगे।

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले NDA में मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस बढ़ गया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि –
🗨️ “चुनाव के बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा।”

🔹 बयान पर मचा सियासी बवाल

इस बयान के बाद जेडीयू और बीजेपी के बीच क्या रिश्ता पुराना ही रहेगा या अनबन की जो अटकलें तेज हो गईं हैं, वह लकींर खिंचेगा।
क्या नीतीश कुमार की कुर्सी सुरक्षित नहीं?
क्या चुनाव के बाद बीजेपी अपना मुख्यमंत्री लाने की तैयारी में है?

🔹 बिहार में NDA की चुनावी रणनीति में बदलाव?

बीजेपी का यह रुख संकेत देता है कि अगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलती हैं तो सीएम पद को लेकर जेडीयू पर दबाव बढ़ सकता है।
📌 सवाल यह है कि क्या जेडीयू इस शर्त को स्वीकार करेगा?
📌 क्या बिहार में बीजेपी किसी नए चेहरे को सीएम बना सकती है?

🔹 राजनीतिक हलचल तेज

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले NDA में मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस की स्थिति बनती जा रही है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि “चुनाव के बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा।”

🔹 दिलीप जायसवाल की सफाई

जब इस बयान पर विवाद बढ़ा, तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने सफाई देते हुए कहा
📌 “मैंने यह नहीं कहा कि फैसला दिलीप जायसवाल लेंगे। मैंने दूसरी लाइन स्पष्ट कही थी कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम आज बिहार को चला रहे हैं और चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ेंगे।”

🔹 क्या नीतीश कुमार फिर होंगे मुख्यमंत्री?

हालांकि, बीजेपी नेता प्रेम कुमार ने इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि –
📌 “हम गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने तय कर दिया है। चुनाव के बाद विधायकों की सहमति से संसदीय बोर्ड मुख्यमंत्री का फैसला करेगा। अगर प्रदेश अध्यक्ष का बयान आया है कि तो मैं मानता हूं, सही है। हम गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे।

🔹 यही प्रक्रिया रही है, चुनाव बाद संसदीय बोर्ड?

पार्टी ने तय कर दिया है। आगे चुनाव के बाद रिजल्ट जब आएगा, निश्चित तौर पर विधायकों की सहमति से आने वाले समय में पार्टी तय करेगी। एनडीए के लोग तय करेंगे। चुनाव के बाद संसदीय बोर्ड की बैठक होगी। यही प्रक्रिया रही है। 

➡ यह बयान जेडीयू के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि बीजेपी का यह रुख साफ करता है कि नीतीश कुमार की कुर्सी सुरक्षित नहीं है।

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🔹 बिहार की राजनीति में उथल-पुथल के संकेत

NDA के अंदर मुख्यमंत्री पद पर उठते सवालों ने जेडीयू की चिंता बढ़ा दी है।
अब देखना होगा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच यह सियासी खींचतान आगे क्या मोड़ लेती है।

🔹 जेडीयू की प्रतिक्रिया और बढ़ते सवाल

👉 बीजेपी का यह बदला हुआ रुख जेडीयू के लिए खतरे की घंटी है।
👉 क्या बीजेपी चुनाव बाद नीतीश कुमार को किनारे करने की योजना बना रही है?
👉 क्या जेडीयू इस बयान को चुपचाप स्वीकार करेगा या विरोध में उतरेगा?

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🔹 राबड़ी देवी ने साधा निशाना

बीजेपी के इस बयान पर राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि –
🗨 “यह तो नीतीश कुमार को तय करना है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ऐसा क्यों कह रहे हैं। हमारे लिए नीतीश कोई बड़ा मुद्दा नहीं हैं, हमारे लिए बिहार की जनता मुद्दा है।”

🔹 दिलीप जायसवाल की सफाई

अपने बयान पर बढ़ते विवाद के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने सफाई देते हुए कहा
📌 “नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही हम चुनाव लड़ेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री का फैसला संसदीय बोर्ड करेगा।”

🔹 जेडीयू के लिए मुश्किलें बढ़ीं

इस बयान के बाद जेडीयू की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
👉 पहली बार बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश का सीएम बनना तय नहीं है।
👉 यह जेडीयू के लिए एक कड़ा संकेत है कि अब मुख्यमंत्री पद बीजेपी के दायरे में भी आ चुका है।

🔹 बिहार की सियासी तस्वीर धुंधली

बीजेपी का यह बयान जेडीयू के लिए खतरे की घंटी है।
चुनाव के बाद की रणनीति नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य पर असर डाल सकती है।
अब देखना यह है कि जेडीयू इस सियासी चुनौती का सामना कैसे करता है।

दलित समागम में नीतीश कुमार की ‘जल्दी वापसी’ 

पटना में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी की ओर से आयोजित दलित समागम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संक्षिप्त उपस्थिति ने सियासी चर्चाओं को हवा दे दी है।
नीतीश कुमार मात्र 15 सेकेंड के लिए मंच पर रहे और तुरंत वापस लौट गए।

🔹 क्या NDA में सबकुछ ठीक नहीं?

👉 बिहार में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से एनडीए में असंतोष की खबरें आ रही हैं।
👉 नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के दो विभाग वापस ले लिए, जिससे HAM में नाराजगी है।
👉 अब दलित समागम में नीतीश की जल्दी वापसी को भी इस असंतोष से जोड़कर देखा जा रहा है।

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🔹 नीतीश कुमार का 15 सेकेंड का भाषण

🗨️ “मैं आप सबका नमन करता हूं। आज पार्टी की मीटिंग हो रही है तो उसके लिए बधाई। मुझे जानकारी मिली तो सभी को बधाई देने आया हूं। इन्हीं शब्दों के साथ आप को बधाई देकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।”

नीतीश के इस संक्षिप्त संबोधन से सवाल उठ रहे हैं:

  • क्या नीतीश और मांझी के बीच कोई राजनीतिक तनाव है?
  • क्या कैबिनेट विस्तार के बाद से HAM पार्टी में नाराजगी बढ़ी है?
  • क्या बीजेपी और जेडीयू के बीच बढ़ती खटपट का असर सहयोगी दलों पर भी दिख रहा है?

🔹 मांझी को मिला कम महत्व?

📌 नीतीश कुमार ने संतोष सुमन से दो विभाग वापस लिए, अब सिर्फ लघु जल संसाधन विभाग बचा।
📌 दलित समागम में मौजूद रहे NDA के अन्य नेता, लेकिन नीतीश का तुरंत लौटना एक संकेत?

🔹 बिहार की सियासत में नए समीकरण?

एनडीए में अंदरूनी खींचतान जारी है।
क्या जीतन राम मांझी भविष्य में कोई बड़ा सियासी कदम उठाएंगे?
क्या जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में आई दरार का असर छोटे दलों पर भी पड़ने लगा है?

बिहार की राजनीति में दलित वोट बैंक अहम भूमिका निभाता है, ऐसे में नीतीश कुमार की इस ‘जल्दी वापसी’ को हल्के में नहीं लिया जा सकता। क्या यह सिर्फ एक सामान्य घटना थी या बिहार में NDA के भीतर दरार और गहरी हो रही है?

📢 तय है, बिहार की राजनीति में अभी बहुत कुछ बाकी है। आने वाले दिनों में बड़े बदलाव हो सकते हैं। 

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