बिहार में बदलाव की लहर है। बिहार का ‘सिंघम’ शिवदीप लांडे राजनीतिक नेता बन चुके हैं। नौकरी छोड़कर हिंद सेना’ पार्टी के गठन के बीच शिवदीप लांडे बिहार में बदलाव का संकल्प दोहराते आज डेयरी उद्योग पर फोकस करते दिखे। बिहार में डेयरी उद्योग के भविष्य पर सवाल उठाते लांडे ने पूछा क्या हो सकती है श्वेत क्रांति?
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श्वेत क्रांति का इंतजार…बिहार में नई राजनीति का सूरज बनेगी?
बिहार में डेयरी उद्योग की समस्या, श्वेत क्रांति का इंतजार पर लांडे ने कहा, “बिहार में बदलाव लाना है, युवाओं की शक्ति है मेरे साथ है। तय है, बिहार के विकास में युवा शक्ति और डेयरी उद्योग को ऊपर लाना होगा। ऐसे में, सवाल यही क्या हिंद सेना पार्टी बिहार में नई राजनीति का सूरज बनेगी?
आजकल मैं बिहार के दियारा व गाँव में भ्रमण कर रहा हूँ और मैंने ये पाया है कि यहाँ के मवेशियों के दूध की गुणवत्ता देश में सर्वोच्च श्रेणियों में से एक है। यहाँ के हर गांव में दूध की भरपूर मात्रा उपलब्ध है, फिर भी हम डेयरी उद्योग में आजतक कुछ अच्छा नहीं कर सके, और न ही इसे एक… pic.twitter.com/VWDEjH0gEW
— Shivdeep Wamanrao Lande (@ShivdeepLande) May 6, 2025
डेयरी उद्योग की दुर्दशा पर सवाल उठाया है?
शिवदीप लांडे ने बिहार के डेयरी उद्योग की दुर्दशा पर सवाल उठाया है, और यह सही है कि बिहार में डेयरी उद्योग के लिए बहुत संभावनाएं होने के बावजूद इसे व्यावसायिक रूप से मजबूत नहीं किया जा सका है। उन्होंने इसके लिए नीति, जरूरत, सिद्धांत, परिपक्वता, बाजारीकरण समेत सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं।
लांडे ने बिहार के दियारा और गांवों का दौरा करते हुए?
दूध की उच्च गुणवत्ता: लांडे ने बिहार के दियारा और गांवों का दौरा करते हुए पाया कि यहां के मवेशियों के दूध की गुणवत्ता देश के सर्वोत्तम स्तरों पर है, और यहां दूध की भरपूर मात्रा उपलब्ध है। इसके बावजूद डेयरी उद्योग में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई।
बिहार में यह क्रांति आज तक नहीं आ पाई?
सहकारी आंदोलन की कमी: उन्होंने कहा कि बिहार में कोई सशक्त सहकारी आंदोलन नहीं है। अन्य राज्यों में जैसे गुजरात में अमूल द्वारा शुरू की गई श्वेत क्रांति ने डेयरी उद्योग को नए आयाम दिए हैं, लेकिन बिहार में यह क्रांति आज तक नहीं आ पाई। बिहार में सहकारी समितियां मजबूत नहीं हैं, जिससे किसानों और दूध उत्पादकों को अपने उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता।
आजकल मैं बिहार के दियारा व गाँव में भ्रमण कर रहा हूँ और मैंने ये पाया है कि यहाँ के मवेशियों के दूध की गुणवत्ता देश में सर्वोच्च श्रेणियों में से एक है। यहाँ के हर गांव में दूध की भरपूर मात्रा उपलब्ध है, फिर भी हम डेयरी उद्योग में आजतक कुछ अच्छा नहीं कर सके, और न ही इसे एक… pic.twitter.com/VWDEjH0gEW
— Shivdeep Wamanrao Lande (@ShivdeepLande) May 6, 2025
कोई ठोस कदम नहीं, नेटवर्क पर कोई जोर नहीं?
मार्केटिंग और रणनीतियों की कमी: बिहार में डेयरी उत्पादों की मार्केटिंग की कोई प्रभावी रणनीति नहीं है। जबकि अन्य राज्यों में अच्छे विपणन और वितरण नेटवर्क के जरिए डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिला है, बिहार में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
यह उद्योग पिछड़ गया है?
बिहार में डेयरी उद्योग की स्थिति: लांडे का यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि आखिर बिहार में डेयरी उद्योग की इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या यह सरकार की नीतियों की कमी का परिणाम है, या फिर अन्य सामाजिक-आर्थिक कारणों से यह उद्योग पिछड़ गया है?
सवाल सटीक है कि बिहार में डेयरी उद्योग को क्यों नहीं ?
इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने से यह साफ होता है कि बिहार में डेयरी उद्योग के विकास के लिए न केवल सहकारी आंदोलन, बल्कि एक प्रभावी मार्केटिंग और रणनीतिक दृष्टिकोण की भी आवश्यकता है। लांडे का यह सवाल सटीक है कि बिहार में डेयरी उद्योग को क्यों नहीं विकसित किया जा सका, जबकि यहां इसके लिए जरूरी संसाधन और क्षमता मौजूद हैं।