बेगूसराय, देशज न्यूज। सनातन संस्कृति और (sale started of ganges soil in simariya) प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में जीवनदायिनी कही जाने वाली मां गंगा, सिर्फ जीवनदायिनी, पापनाशनी और मोक्षदायिनी ही नहीं है, बल्कि रोजगार दायिनी भी है। हिमालय से गंगा सागर तक गंगा के बेसिन में बसे 40 करोड़ से अधिक लोग किसी ना किसी रूप से गंगा से फायदा ले रहे हैं।
भारतीय डाक विभाग गंगाजल का बड़े पैमाने पर बिक्री कर रहा है। इसके अलावा गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक हजारों लोग बोतल एवं डब्बा में भरकर गंगाजल बेच रहे हैं। गंगा से निकाला गया मिट्टी (स्थानीय भाषा में गंगौट) 40 रुपया किलो बिक रहा है।
गंगा के अंदर का गीला बालू 30 रुपए किलो तथा गंगा के बाहर का सूखा (sale started of ganges soil in simariya) बालू 20 रुपए किलो बिक रहा है। हालांकि यह खुदरा भाव है, थोक में लेने पर कुछ छूट भी दिया जाता है। बिहार के गंगा घाटों में से प्रमुख सिमरिया में बड़े पैमाने पर गंगा के बालू और मिट्टी की बिक्री हो रही है।
यहां 50 से अधिक परिवार इस धंधा में लगे हुए हैं। परिवार के पुरुष सदस्य गंगा से गीली मिट्टी निकालते हैं उसके बाद अन्य सदस्य करीब पांच-पांच सौ ग्राम का गोला बनाकर सुखाते हैं (sale started of ganges soil in simariya) और सुखाने के बाद बेचा जाता है।
यहां आने वाले लोग गंगा से मिट्टी निकालने में खुद का परिश्रम करने के बदले स्थानीय लोगों की ओर से निकाल कर रखे गए सुखी मिट्टी ही खरीद कर ले जाते हैं। वहीं कुछ लोग घर में भूजा sale started of ganges soil in simariya भुंजने तथा अन्य देव कर्मों के लिए गंगा का बालू खरीद कर ले जा रहे हैं। बालू बेचने वाले स्थानीय लोग एक किलो एवं दो किलो बालू पॉलिथीन में पैक कर बेच रहे हैं।