नई संसद के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भारत के राष्ट्रपति की ओर से नई संसद का उद्घाटन करने के लिए लोक सभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है।
जय बाबा केदार..!
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याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित न करके संविधान का उल्लंघन किया है। एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने पार्टी-इन-पर्सन के रूप में याचिका दायर की है।
याचिका में लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाए। गौरतलब है कि 18 मई को लोकसभा महासचिव की ओर से बताया गया था कि नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना।
इसका उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। याचिकाकर्ता ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 का जिक्र किया है। कहा कि इसके मुताबिक संसद, राष्ट्रपति और दोनों सदनों से मिलकर बनती है। आगे कहा गया- राष्ट्रपति, देश का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति के पास संसद सत्र बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है।
राष्ट्रपति ही प्रधान मंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है और तो और सभी कार्यकारी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं। राष्ट्रपति को समारोह में आमंत्रित न करना भारतीय संविधान का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने ये भी कहा- लोकसभा सचिवालय का बयान मनमाने तरीके से, बिना उचित दिमाग लगाए जारी किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने ये याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है, ”उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं।
“भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित न करना, संविधान का उल्लंघन है। भारतीय राष्ट्रपति को कुछ शक्तियां प्राप्त हैं। इनमें कार्यकारी, विधायी, न्यायपालिका,आपातकालीन और सैन्य शक्तियां शामिल हैं। आपको बता दें, कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने का फैसला न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि ये लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। आगे कहा, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है। ये अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के पद का अपमान करता है।
संविधान की भावना का उल्लंघन करता है। वे दल जिन्होंने समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है- कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, DMK, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट), समाजवादी पार्टी, राजद, CPI, JMM, केरल कांग्रेस (मणि), VCK, रालोद, राकांपा, JDU, CPI (M), IUML, नेशनल कॉन्फ्रेंस, RSP और MDMK
राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। इतना ही नहीं सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा की राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग हैं। लेकिन राष्ट्रपति को शिलान्यास समारोह से दूर रखा गया और अब वो उद्घाटन समारोह का हिस्सा नहीं है, सरकार का यह फैसला उचित नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर जमकर सियासत हो रही है। तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के हाथों नहीं। इतना ही नहीं अब तक 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बायकॉट का ऐलान भी किया है।
इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), आप, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम
लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं। वही हालांकि, तमाम दलों ने नई संसद को देश के लिए जरूरी बताते हुए कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही है।
पंजाब की राजनीतिक पार्टी अकाली दल ने इस कार्यक्रम में शामिल होने का ऐलान किया है। इसके अलावा ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल भी इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा होने जा रही है।
वहीं जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी भी इस कार्यक्रम में शामिल होगी। इसके अलावा मायावती की पार्टी बसपा भी इस समारोह का हिस्सा होने वाली है।