दरभंगा / पटना | दरभंगा समेत पूरे बिहार में भूजल प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे लाखों लोगों की सेहत खतरे में है। बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, राज्य के 30,207 ग्रामीण वार्डों में पानी पीने योग्य नहीं है। दरभंगा भी इस संकट से जूझ रहा है, जहां आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिक मात्रा लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रही है। कैंसर, पेट के संक्रमण और हड्डी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
सरकार की ‘हर घर नल का जल’ योजना और नई जल परियोजनाएं इस समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जल शुद्धिकरण तकनीकों को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है। क्या दरभंगा के लोग साफ और सुरक्षित पानी के हकदार नहीं?
देशज टाइम्स के इस रिपोर्ट में विस्तार से – बिहार में भूजल प्रदूषण गंभीर समस्या बन चुका है। बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, राज्य के 30,207 ग्रामीण वार्डों में पानी पीने योग्य नहीं है। इसमें आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिक मात्रा पाई गई है, जिससे कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
🔴 31 जिलों का भूजल प्रदूषित, 26% ग्रामीण वार्ड प्रभावित
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग (PHED) की रिपोर्ट के मुताबिक, 38 में से 31 जिलों के 26% ग्रामीण वार्डों का भूजल स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित है।
🔹 आर्सेनिक (Arsenic) – 4,709 वार्ड
🔹 फ्लोराइड (Fluoride) – 3,789 वार्ड
🔹 आयरन (Iron) – 21,709 वार्ड
क्रम संख्या | जिला नाम |
---|---|
1 | पटना |
2 | बक्सर |
3 | भोजपुर |
4 | सारण |
5 | वैशाली |
6 | लखीसराय |
7 | दरभंगा |
8 | समस्तीपुर |
9 | बेगूसराय |
10 | खगड़िया |
11 | मुंगेर |
12 | कटिहार |
13 | भागलपुर |
14 | सीतामढ़ी |
15 | कैमूर |
16 | रोहतास |
17 | औरंगाबाद |
18 | गया |
19 | नालंदा |
20 | नवादा |
21 | शेखपुरा |
22 | जमुई |
23 | बांका |
24 | सुपौल |
25 | मधेपुरा |
26 | सहरसा |
27 | अररिया |
28 | किशनगंज |
🚰 राज्य सरकार का समाधान: ‘हर घर नल का जल’ और नई जल परियोजनाएं
राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। PHED मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि राज्य को ‘हैंडपंप मुक्त’ बनाया जाएगा और हर घर तक नल से स्वच्छ जल पहुंचाने की योजना लागू की जा रही है।
✅ ‘हर घर नल का जल’ योजना – 83.76 लाख ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा रहा है।
✅ बहु-ग्राम योजनाएं (MVS) – जल गुणवत्ता सुधारने के लिए नई तकनीक अपनाई जा रही है।
✅ सोन नदी से जल आपूर्ति परियोजना – 1,347 करोड़ रु. की लागत से औरंगाबाद, डेहरी और सासाराम में पीने के पानी के लिए सोन नदी का उपयोग किया जाएगा।
📌 सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना की आधारशिला रखी थी। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से इन शहरों की भूजल पर निर्भरता कम होगी।
🛑 विशेषज्ञों की राय: जल प्रदूषण से बचाव के लिए मानकीकरण जरूरी
डॉ. मनोज कुमार (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) ने कहा कि जल गुणवत्ता मानकों को स्पष्ट करना आवश्यक है।
🔹 पेट के संक्रमण से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों तक हो सकता है खतरा
🔹 प्रदूषण के स्रोतों की पहचान कर नियमित जांच और जल शुद्धिकरण की प्रक्रिया अपनाई जाए
🔹 प्रभावित गांवों में जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएं
🚨 निष्कर्ष: जल्द समाधान की जरूरत
बिहार में भूजल प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। हालांकि, राज्य सरकार जल आपूर्ति और शुद्धिकरण के लिए बड़े कदम उठा रही है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जल गुणवत्ता मानकों को लागू करने और जल शुद्धिकरण तकनीकों को बेहतर करने की सख्त जरूरत है।
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