

आंचल कुमारी, Darbhanga | कमतौल क्षेत्र में हथिया नक्षत्र की बारिश किसानों के लिए आफत बन गई है। ऊपर से चक्रवाती बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। खेतों में पानी जमा हो जाने से धान की फसल की कटनी मुश्किल हो गई है। किसान हर तरह की कोशिश में जुटे हैं कि किसी तरह खेत से पानी निकाला जा सके, क्योंकि पानी जितना देर रहेगा, फसल उतनी ही खराब होगी।
धान कटनी पर रोक, रबी फसल पर भी संकट
खेतों में जलजमाव के कारण अब तक धान की कटनी शुरू नहीं हो पाई है, जिससे रबी फसल की बुवाई भी प्रभावित हो रही है। किसानों का कहना है कि दलहनी और तेलहनी फसलें, जैसे मसूर, चना और सरसों की खेती अब मुश्किल होती जा रही है।
किसानों ने बताया कि अगर नवंबर तक खेत सूख नहीं पाए, तो अगात गेहूं की बुवाई मुमकिन नहीं होगी। जबकि सामान्य मौसम में नवंबर माह से गेहूं की बुवाई शुरू हो जाती है।
किसानों की चिंता बढ़ी, मजदूर भी नहीं मिल रहे
गांव के किसान शिवलाल पासवान, जगन्नाथ पासवान, सुधीर ठाकुर, मोहन महतो और राजगीर महतो ने बताया कि खेतों की स्थिति देखकर लगता है कि नवंबर के अंत तक भी नई फसल लगाना संभव नहीं होगा। धान कटनी के लिए मजदूर नहीं मिलने से किसान अपने परिवार के साथ खेत खाली करने में जुटे हैं।
महिला किसान सरस्वती देवी ने कहा,
“शुरू में पानी के लिए खेत तरसते रहे, पटवन कर फसल बचाई, और अब इतनी बारिश हुई कि पूरी मेहनत पर पानी फिर गया। साल भर परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा, यही चिंता है।”
फसल देर से लगने पर बढ़ेगा कीट प्रकोप
किसानों का कहना है कि अगर बुवाई देर से हुई, तो तापमान बढ़ने के कारण तेलहनी फसल में कीट-व्याधि का प्रकोप बढ़ जाएगा। इससे दलहनी फसल की उपज भी प्रभावित होगी।
खेती वैज्ञानिकों की सलाह
प्रगतिशील किसान धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि
गेहूं की बुवाई के लिए 20°C से कम तापमान जरूरी है।
दलहनी फसलों के लिए 25°C से कम तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है।
बुआई के समय मिट्टी का भुरभुरा होना बीज अंकुरण के लिए अनिवार्य है।
बीज उपचार से पौधे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कीटों से सुरक्षा मिलती है।
उन्होंने कहा कि अगर किसान इन बातों का ध्यान रखें, तो परिस्थितियां कठिन होने के बावजूद भी बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है।








