मधुबनी। चिकित्सकों को धरती पर भगवान का दुसरा अवतार कहा जा रहा है। परंतू कोविड-19 की पहली एवं दुसरी लहर में भगवान के दुसरे अवतार कहलाने वाले बड़े-बड़े अस्पतालों के चिकित्सकों ने अपने-अपने हाथ खड़े कर ले रहे हैं। तथा कोविड मरीज का नाम सुनते ही अस्पतालों के संचालक मरीज को लेने से इंकार कर रहे हैं।
तथा वैसे मरीजों को आनन-फानन में सरकारी व अन्य अस्पतालों में रेफर कर दे रहे है। हालत ऐसी है कि ज्यादतर क्लिनिक चलाने वाले चिकित्सकों ने अपने-अपने क्लिनिकों को बंद कर खुद को सुरक्षित महसुस कर रहे हैं। ऐसे हालत में कोरोना काल में ग्रामीण स्तर पर ग्रामीण चिकित्सकों की सेवा सराहनीय है।
इन दिनों बुखार एवं सर्दी आम बात हो गई है। जैसे ही क्लिनिक चलाने वाले चिकित्सकों को बुखार एवं सर्दी वाले मरीज देखना पहुंच रहे हैं तो वहां मौजुद स्वास्थ्य कर्मी चिकित्सक के नही रहने एवं क्लिनिक बंद की बात कह कर वापस कर दे रहे हैं। ऐसे हालात में ग्रामीण स्तर पर ग्रामीण चिकित्सकों मील के पत्थर साबित हो रहे हैं। कोरोना से बिना डरे सहमें हर प्रकार के मरीजों इलाज कर रहे हैं।
रहिका प्रखंड क्षेत्र के इजरा गांव निवासी ग्रामीण चिकित्सक तौकिर अहमद उर्फ लड्डू,नूरूल इस्लाम,ललन कुमार महतो,मो फारूक एवं मोजाहिद इस्लाम उर्फ गुड्डू रात और दिन कोरोना काल में हर प्रकार के मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
इसी तरह बिस्फी प्रखंड क्षेत्र के औंसी निवासी ग्रामीण चिकित्सक मो असलम,बभनगवां निवासी ग्रामीण चिकित्सक सकील अहमद उर्फ तारा बाबू भी कोरोना काल में बिना डरे और सहमें होकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ग्रामीण चिकित्सक तौकिर अहमद उर्फ लड्डू बाते हैं कि हम भी कुछ मरीजों को बड़े-बड़े अस्पतालों में लेकर पहुंचे तो वहां की व्यवस्था देखकर मैं भावुक हो गया। तथा उसी दिन मन में ठान लिया कि अब मुझे इस संकट की घड़ी में हर मानव की सेवा अपने वर्षो इलाज के तजुर्बा से करूंगा। कोरोना काल इस मुसीबत की घड़ी में बिना फीस लिए मरीजों का मुफ्त इलाज कर रहा हूं। कोरोना के महामारी काल में ग्रामीण स्तर पर मजबुत इरादों के साथ हर प्रकार के मरीजों का इलाज कर रहे ग्रामीण चिकित्सों के जज्बों को सलाम है।