मोतिहारी में दुनिया के सबसे ऊंचे और बड़े विराट रामायण मंदिर का कार्यारंभ मंगलवार अक्षय तृतीया से आरंभ हो जाएगा।
इस मंदिर में दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्थापित होगा। पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में विश्व के सबसे ऊंचे विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य (Construction of Virat Ramayana temple in Motihari) तीन मई यानी अक्षय तृतीया से शुरू होगा।
परिसर में 12 मंदिर चार आश्रम का निर्माण किया जाएगा। अंकोरवाट में भगवान विष्णु का मंदिर है और इस विराट रामायण मंदिर में भगवान शिव शिवलिंग के रूप में भव्य रूप से विराजमान रहेंगे। सोमवार तक मंदिर निर्माण के लिए मशीन कैथवलिया पहुंच जाएंगी और मंगलवार से कार्यारंभ हो जाएगा। पूरे परिसर को भव्य एवं आकर्षक बनाया जाएगा।
कैथवलिया में दुनिया का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण होना है। इस मंदिर का निर्माण पटना के श्री महावीर स्थान न्यास समिति के द्वारा किया जा रहा है। इसका भूमि पूजन आचार्य किशोर कुणाल ने 21 जून 2012 में किया था। रामायण मंदिर परिसर की लम्बाई 2800 फीट और चौड़ाई 1500 फीट होगी। मुख्य मंदिर 1240 फीट लंबा, 1150 फीट चौड़ा और 270 फीट ऊंचा होगा। मंदिर में 18 देवता घर और 18 शिखर होंगे। इस मंदिर में भगवान रामजी के साथ-साथ सीता जी, लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति होगी। अन्य मंदिरों में अन्य हिन्दू देवी देवता प्रतिष्ठित होंगे।
पूर्वी चंपारण जिला भूकंप का आकस्मिक जोन होने के कारण विशेष ध्यान रखा गया है। मंदिर निर्माण में विलंब का कारण नई तकनीक का प्रयोग के बारे में जानकारी लेना बताया ताकि यह मंदिर युगो तक लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना रहे। मंदिर में तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशाला का भी निर्माण किया जा रहा है।
जिले के केसरिया प्रखंड स्थित कैथवलिया में इस मंदिर का निर्माण होना है। निर्माण कार्य की शुरुआत कराने के लिए धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) केसरिया में लगभग 15 दिनों का प्रवास करेंगे।
आचार्य ही विराट रामायण मंदिर के कर्ता-धर्ता हैं। पूर्व आईपीएस पदाधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि केरल के कन्याकुमारी से 130 फुट से ज्यादा बड़े ग्रेनाईट चट्टान को शिवलिंग का स्वरूप देने काम महाबलीपुरम में किया जा रहा है।
यह शिवलिंग सहस्त्र लिंगम होगा। देश के 14 सौ साल पूर्व के मंदिरों में इस तरह का शिवलिंग दिखाई देता है। वर्तमान में विश्व का सबसे ऊंचा शिवलिंग तंजौर के मंदिर में स्थापित है। शिवलिंग को मोतिहारी लाने के लिए 130 फीट लंबे ट्रक की जरूरत पड़ेगी क्योकी इसका वजन करीब 130 मीट्रिक टन से ज्यादा होगा। इसे लाने में और मंदिर तक ले जाने में आने वाले समस्या को लेकर जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक से मिलने आए थे। उन्होने बताया कि जिलाधिकारी का रूख मंदिर को लेकर काफी सकारात्मक है। मंदिर में शिवलिंग 33 फीट ऊंचा और 33 फीट मोटा होगा।
रामायण मंदिर का निर्माण ग्रेटर नोएडा की कंपनी को सौंपा गया है। इसका संपूर्ण डिजाइन सुप्रसिद्ध वास्तुकार रघुवंशी जी ने किया है। यह मंदिर अत्याधुनिक एवं पुरातन शैली का अद्भुत मिश्रण होगा। शिवलिंग की स्थापना के बाद अन्य मूर्तियां को भी इस मंदिर में स्थापित की जाएगी। मंदिर की ऊंचाई 270 फीट एवं चौड़ाई 540 फीट तथा फर्श का क्षेत्रफल 1080 फीट होगा।
9 अंक अच्छे अंक माना जाता है। इसलिए इस मंदिर को बनाने में इसका खास महत्व दिया गया। इस मंदिर का जीवन 300 वर्ष से ज्यादा होगा। शिवलिंग की स्थापना के बाद प्राण प्रतिष्ठा होगी और इस पर सरयू गंगा के संगम से कांवरियों के द्वारा जलाभिषेक किया जाएगा। मंदिर का ढांचा ढाई साल में तैयार हो जाएगा।
राम जानकी फोरलेन पथ मंदिर को स्पर्श करते हुए गुजरेगी। अंकोरवाट मंदिर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विराट रामायण मंदिर को कंबोडिया के सरकार ने पूरे दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया। इस मंदिर का निर्माण इतिहास एवं दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों का अध्ययन करके किया जा रहा है और इसके डिजाइन में भी एक अलग शैली दिखेगी। इस मंदिर में मुख्य शिखर 270 फीट, चार शिखर 180 फीट एवं पांच शिखर 135 फीट के होंगे। इस मंदिर में भगवान श्री राम शिवजी की पूजा करते दिखेंगे। उनके बगल में पवनपुत्र हनुमान जी सामग्री लेकर खड़े दिखाई देंगे। लक्ष्मण जी रक्षा प्रहरी के रूप में धनुष लेकर विराजमान होंगे।
वही अशोक वाटिका में सीता जी मंदिर की ओर देखती दिखाई पड़ेंगी। इसके अलावा मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित होंगी। मंदिर का गर्भगृह 180 फीट गुणा 180 फीट का होगा। मंदिर परिसर में 800 फीट गुणा 400 फीट का भव्य शिवगंगा तालाब का निर्माण किया जा रहा है, जहां भक्तजन शुद्ध जल में स्नान करके मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। जलाभिषेक करने के लिए विशेष प्लेटफार्म का निर्माण किया जाएगा।
बुजुर्गों के लिए मंदिर पर लिफ्ट एवं एलीवेटर लगाए जाएंगे। जानकी नवमी के दिन मंदिर के जमीन के अंदर गर्भगृह का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। इस मंदिर में दान देने वाले भू दाताओं का नाम बड़े अक्षरों में एवं बिक्री करने वाले भू दाताओं का नाम उससे छोटे अक्षरों में रहेगा जो एक स्तंभ पर अंकित रहेगा।