ऑनलाइन ठगी से निजात के लिए पूरे प्रदेश में खोले जा रहे 44 साइबर थाने के इंचार्ज डीएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी होंगे। एक थाने में चार-चार इंस्पेक्टरों की तैनाती होगी।
इनके अलावा तीन दारोगा, एक प्रोगामर, दो सिपाही और तीन-तीन डाटा इंट्री आपरेटर समेत कुल पंद्रह की तैनाती होगी। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने 44 साइबर थाना खोले जाने के गृह विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
जानकारी के अनुसार, एक थाने में कुल पंद्रह पद यानी एक डीएसपी, चार पुलिस निरीक्षक, तीन पुलिस अवर निरीक्षक, एक प्रोग्रामर, दो सिपाही, तीन डाटा सहायक और एक चालक सिपाही के पद तय किए गए हैं।
बिहार में अभी साइबर थानों की व्यवस्था नहीं है। इसकी अपराध इकाई के अधीन सभी जिलों में 74 साइबर क्राइम एवं सोशल मीडिया यूनिट की स्थापना की गई है, बड़े जिलों में तीन से चार वहीं छोटे जिलो में एक या दो सीसीएसएमयू कार्यरत है। सूत्रों की मानें तो इन्हें ही साइबर थानों के रूप में बदला जाएगा।
स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2018 में बिहार में साइबर फ्रॉड के महज 375 केस दर्ज हुए थे और अब बिहार के हर जिले में साइबर फ्रॉड के केस दर्ज हो रहे हैं। साल 2021 में साइबर फॉड के 1413 केस दर्ज हुए हैं।
तीन साल के आंकड़ों को देखें तो बिहार में साइबर क्राइम की घटनाओं में 300 फीसदी की वृद्धि हुई है। अकेले जनवरी में मई 2022 तक पांच महीने में ही बिहार में 8003 केस सामने आए हैं। इसमें अकेले पटना में ही साइबर क्राइम के 1632 केस थी।