इंसानी अधिकारों को पहचान देने व वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल दस दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। इसी इंसाफ की लड़ाई को एक कदम आगे लेकर चल पड़े हैं महारानी अधिरानी रमेश्वर लता संस्कृत कॉलेज के छात्र जिनका बखूबी साथ निभा रहे प्रधानाचार्य उनके कार्यक्रम पदाधिकारी समेत अन्य कर्मी। 
दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर सोमवार को महारानी अधिरानी रमेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विश्वनाथ वनर्जी के संयोजकत्व व प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश झा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंङ्गलाचरण व दीप प्रज्वलन से हुआ। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के सभी अध्यापक, अध्यापिका, छात्र, कर्मचारी व अन्य लोग सम्मिलित थे। संगोष्ठी के प्रारंभ भाषण में डॉ. विश्वनाथ बनर्जी ने मानवाधिकार दिवस के औचित्य व महत्व पर विस्तारित जानकारी दी।
बतौर अध्यक्ष प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश झा ने कहा कि इंसानी अधिकारों को पहचान देने व वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। कहा कि, किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी व सम्मान का अधिकार है मानवाधिकार। मौके पर महाविद्यालय के शिक्षकों डॉ. वागीश कुमार मिश्र, डॉ. सुबोध कुमार ठाकुर, डॉ. विजय कुमार मिश्र, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र, डॉ. राजकिशोर मिश्र, डॉ. श्रीकांत तिवारी मौजूद थे। अन्य कर्मचारियों में सहायक पंकज मोहन झा, मनोज राम मौजूद थे। वहीं, छात्रों में मोनू कुमार मिश्र, दिपांशु कुमार झा, प्रकाश कुमार झा, पंकज कुमार झा,अखिलेश कुमार झा, चंदन कुमार मिश्र, भरत कुमार मिश्र समेत अन्य शामिल थे।
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