दरभंगा से बड़ी खबर! दरभंगा की राजनीति में आज बड़ा मोड़! गुरुवार को कोर्ट ने सुनाया बड़ा आदेश। पूरे इलाके में चर्चा तेज। विधायक मिश्री लाल यादव को जेल। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर की कोर्ट ने एक आपराधिक मामले के अपील वाद सं.03/25 में अपीलार्थी विधायक मिश्री लाल यादव और सुरेश यादव को गुरुवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
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भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दी सजा, तीन माह की जेल और जुर्माना
दरभंगा, देशज टाइम्स | दरभंगा के एकमात्र एमपी/एमएलए कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव और उनके सहयोगी सुरेश यादव को तीन महीने की सजा और ₹500 जुर्माना की सजा सुनाई है। यह सजा भादवि की धारा 323 के तहत दी गई है।
क्या है मामला – 2019 का हमला और लूटपाट
रैयाम थानाकांड सं 04/19 से बने विचारण वाद सं.884/23 में दरभंगा के एमपी/एमएलए कोर्ट के तत्कालीन पीठासीन पदाधिकारी करुणानिधि प्रसाद आर्य ने विगत 21 फरवरी 25 को भादवि की धारा 323 में दोषी पाते हुए 3 माह की सजा और 500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इसी निर्णय के बिरुद्ध सजायाफ्ता विधायक ने अपील वाद सं.03/25 संस्थित कराया था।
हमले का विवरण
गुरुवार को न्यायालय ने अपील वाद की सुनवाई के बाद विधायक श्री यादव और सुरेश यादव को एहतियात के तौर पर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। अलीनगर विधान सभा क्षेत्र के वर्तमान भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव और गोसाईं टोल पचाढी निवासी सुरेश यादव के विरूद्ध समैला निवासी उमेश मिश्र ने 29 जनवरी 19 की आपराधिक घटना को लेकर 30 जनवरी को प्राथमिकी सं. 4/19 संस्थित कराया।
फरसा से प्रहार किया, इससे
सूचक का आरोप था कि 29 जनवरी 19 को सुबह 6 बजे मॉर्निंग वाक के लिए घर से निकला। जब वह गोसाईं टोल पहुंचा तो पूरब दिशा से आ रहे मिश्री लाल यादव, सुरेश यादव एवं अन्य 20/25 व्यक्ति हरवे हथियार से लैस होकर कदमचौक पर घेर कर गाली गलौज करने लगा। जब उसने विरोध किया तो मिश्रीलाल यादव ने सूचक के सिर पर फरसा से प्रहार किया। इससे उसका सिर कट गया। खून बहने लगा।
कार्यवाही और फैसला
सुरेश यादव ने रॉड और लाठी से मारकर सूचक के पॉकेट से 2300 रुपए निकाल लिया।जख्मी का इलाज पहले केवटी पीएचसी और तत्पश्चात डीएमसीएच में हुआ था। कोर्ट ने अपीलवाद में निर्णय के लिए 23 मई की तिथि निर्धारित किया है। मिश्री लाल यादव ने फरसा से सिर पर हमला किया, जिससे खून बहने लगा। सुरेश यादव ने लोहे की रॉड और लाठी से मारा और पॉकेट से ₹2300 छीन लिए। घायल उमेश मिश्रा का इलाज पहले केवटी पीएचसी में और फिर डीएमसीएच में हुआ।
अदालती कार्यवाही और फैसला
अनुसंधानकर्ता ने 12 अक्टूबर 2019 को आरोप पत्र दाखिल किया। 17 अप्रैल 2020 को कोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया। वाद सं. 884/23 के तहत बहस और साक्ष्य पेश किए गए। विशेष न्यायाधीश ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया और सजा सुनाई।
विधायक को जेल भेजने का आदेश
विशेष अदालत के आदेश पर विधायक मिश्री लाल यादव को गुरुवार को जेल भेज दिया गया। यह फैसला कानून के समक्ष समानता और जवाबदेही का प्रतीक माना जा रहा है। अब पढ़िए जो पहले ब्रेकिंग न्यूज थी…
दरभंगा ब्रेकिंग: विधायक मिश्री लाल यादव को कोर्ट के आदेश पर भेजा गया जेल, ADJ-3 के पुराने मामले में सुनवाई के बाद आया बड़ा फैसला
दरभंगा, देशज टाइम्स | दरभंगा से एक बड़ी खबर सामने आई है। विधायक मिश्री लाल यादव को आज गुरुवार को कोर्ट के आदेश के बाद जेल भेज दिया गया है। यह आदेश दरभंगा एडीजे-3 (ADJ-3) की अदालत द्वारा एक पुराने मामले में सुनवाई के दौरान दिया गया। Mp Amla कोर्ट के एडीजे 3 ने अलीनगर के बीजेपी विधायक मिश्रीलाल यादव को दो दिन के लिए कस्टर्डी में भेजा है।
कोर्ट की कार्यवाही और आदेश का विवरण
अदालत में पेशी के दौरान ADJ-3 ने विधायक के खिलाफ जारी पुराने मामले की सुनवाई करते हुए जेल भेजने का आदेश सुनाया। आदेश के बाद पुलिस ने विधायक को हिरासत में लेकर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। मामला किस वर्ष का है और आरोप क्या हैं, इसकी विस्तृत जानकारी का अभी इंतजार है।
मामले का राजनीतिक और कानूनी असर
केवटी थाना क्षेत्र में मारपीट मामले में सजा हुई थी। इसको लेकर अपील में गए थे। 23 मई 25 को कल इसपर निर्णय होगा। सुरक्षा के दृष्टिकोण से हिरासत में लिया गया। यह घटना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। विपक्ष और समर्थक दोनों ही पक्ष इस मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे सकते हैं। यह देखना अहम होगा कि मिश्री लाल यादव की अगली कानूनी रणनीति क्या होगी और क्या उनकी ओर से जमानत याचिका दायर की जाती है।
ADJ-3 का आदेश क्यों है महत्वपूर्ण?
एडीजे (अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश) की अदालतें गंभीर आपराधिक मामलों की सुनवाई करती हैं। यदि यह मामला लंबे समय से लंबित था और अब साक्ष्य एवं प्रस्तुतियों के आधार पर आदेश दिया गया है, तो यह न्याय प्रक्रिया की अहम प्रगति मानी जा सकती है।