

जाले | जाले प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश खेतों में इस समय पानी भरा हुआ है, जिससे किसानों की धान की फसलें बर्बादी के कगार पर पहुंच गई हैं। पके हुए धान का बोझ अब पौधों की तनों से संभल नहीं रहा, और हल्की हवा के झोंके में ही फसल गिरने लगी है।
हथिया नक्षत्र की बारिश ने दी उम्मीद, पर चक्रवात ने तोड़ी कमर
किसानों का कहना है कि हथिया नक्षत्र की बारिश ने धान को जीवनदान दिया था, लेकिन चक्रवाती बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। धान की फसल जहां पूरी तरह पक चुकी थी, वहीं लगातार बारिश ने खेतों में पानी जमा कर फसल को सड़ा दिया।
बंद पड़े पनबट से बढ़ी जलजमाव की समस्या
इलाके के अधिकांश पनबट (जल निकासी मार्ग) बंद होने से खेतों में जलजमाव की स्थिति गंभीर बनी हुई है। किसान अब अपने खेतों के गहरे हिस्सों में गड्ढा खोदकर पानी निकालने का प्रयास कर रहे हैं ताकि किसी तरह फसल बचाई जा सके।
कीचड़ और ठंडा पानी बना कटाई में बाधा
रतनपुर के किसान कन्हैया झा, राज सिंघानिया, विजय दास, राजा सहनी सहित कई किसान अपने खेतों से पानी निकालने की जद्दोजहद में जुटे हैं।
किसानों का कहना है कि बिना पानी निकाले धान की कटाई संभव नहीं, क्योंकि ठंडे पानी और कीचड़ में मजदूर काम करने से इंकार कर रहे हैं। न तो कम्बाइंड हार्वेस्टर चल सकता है और न ही रीपर मशीन।
रबी की फसल पर भी संकट के बादल
किसानों का कहना है कि अगर जल्द पानी नहीं निकला, तो तिलहन और दलहन की बुवाई तो दूर, गेहूं की खेती भी समय पर नहीं हो पाएगी।
एक किसान ने निराशा जताते हुए कहा, “हम तो अब बस ऊपर वाले के भरोसे हैं, फसल की किस्मत वही तय करेगा।”








