

दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। शहर में जाम की समस्या बड़ा रूप ले चुकी है। एक तो शहर के अंदर सड़कों की चौड़ाई का कम होना है। वहीं, दूसरी ओर इन सड़कों पर सब्जी, फल, कपड़े, चाट, छोले समेत अन्य फुटपाथी दुकानें और लगे ठेलों से बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है।
सब्जी वाले तो शहर के कई जगहों पर सड़क के किनारे ही बोरी लगाकर दुकान सजा रहे हैं। इधर, सबसे बड़ी समस्या और भी तब खड़ी हो जाती है जब दोनार गुमटी पर ट्रैक के बीचों-बीच मालगाड़ियां या रेलगाड़ी खड़ी हो जाती हैं और यह दिन में कई बार ऐसा होता है।
आधा-आधा घंटा तक लोग सड़कों पर खड़े रहते हैं। कई बार तो डीएमसीएच की और आ रहेे गंभीर अवस्था के रोगी और परिजन इतना परेशान हो जाते हैं कि मरने और मारने पर उतारू हो जाते हैं। इससे भी इतर यह है कि प्रशासन और पुलिस या कुछ “रसूखदार लोग नो इंट्री “का पालन नहीं करते और गाड़ी को नो इंट्री जोन में उल्टे घुसा देते हैं। इस कारण भी जाम लगती है।
इस जाम से आखिर छुटकारा कौन दिलाएगा। यह प्रश्न उठना तो लाजमी है। शहर में जब नो इंट्री की शुरुआत हुई थी तो तात्कालीन डीएम संतोष मल्ल ने चार मजिस्ट्रेटों की प्रतिनियुक्ति शहर में की थी। इन मजिस्ट्रेट का काम गलत दिशा से आ रही गाड़ियों का जुर्माना काटना था। वह गाड़ी सरकारी हो या निजी।
तात्कालीन एसएसपी एम आर नायक ने नो इंट्री को पालन कराने जगह-जगह यातायात को सुदृढ़ बनाने के लिए अलग से पुलिस पदाधिकारियों की व्यवस्था की थी।

क्या मजाल था कि कोई थाना बीडीओ सीओ एसडीओ या अन्य विभाग के पदाधिकारी नौ एंट्री का उल्लंघन कर देते और जो उल्लंघन कर देते उन्हें जुर्माने की राशि भरकर आगे का रास्ता दिखाया जाता था।
डीएम एसएसपी आईजी कमिश्नर खुद इस नियम का पालन करते थे। दरभंगा टावर चौक पर कोई भी ठेला और चार चक्का वाहन लगाने पर रोक था। अब ठीक इसके विपरीत है। दरभंगा टावर, रेलवे स्टेशन से पूअर होम के रास्तों पर हजमा चौराहा, दोनार चौक आदि कई जगहों पर सड़क अतिक्रमण कर सब्जी और अन्य ठेले वाले खड़े होकर दुकानदारी करते नजर आ जाते हैं।
हद तो तब हो जाती है जब रेलवे ट्रैक बंद होने के बाद जब लंबी कतारें लग जाती हैं। हालांकि इस मामले में जिला प्रशासन क्या कर सकती है। लेकिन, इतना तो कर ही सकती है कि सड़कों से अतिक्रमण मुक्त हो। नो इंट्री पर पहले की तरह कड़ा कानून बने ताकि सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो। नो इंट्री के पालन करने और कराने में पुलिसिया लचर व्यवस्था भी दुरुस्त होगी।
वाहनों पर नजर रखने या चेकिंग से अपराधी भी डरेंगे और अपराध नहीं होगा। अभी स्थिति यह है कि चौक-चौराहे के ठेलों से थाना सहित नगर कर्मी नाजायज बटटी वसूलती है। यानि नाजायज वसूली करती है। और, इन लोगों का मन इतना बढ़ा रहता है कि इस कारण शांति प्रिय परिवार के लोग बाजार निकलने से कतराते हैं। जब फुटपाथ पर ऐसे लोंगों की भीड़ हो जाती है तो इनके संगठन बन जाते हैं। और, जब अतिक्रमण मुक्त कराने की बात होती है तो पुलिस प्रशासन और नगर निगम को खाली कराने में औंधे मुंह गिरना पड़ता है।









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