back to top
26 मार्च, 2024
spot_img

Darbhanga Police को अमरीकी नाबालिग से RAPE CASE में High Court ने लगाई ‘ फटकार ‘, 5 साल बाद…, पढ़िए तल्ख टिप्पणी

spot_img
spot_img
spot_img

पटना | हाईकोर्ट ने दरभंगा में छह साल पुराने नाबालिग यौन दुर्व्यवहार मामले में पुलिस की “उदासीनता” पर कड़ी नाराजगी जताई है।

न्यायाधीश जस्टिस बिबेक चौधरी ने कहा,

“मामले की जांच से जुड़े रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि एफआईआर दर्ज करने से लेकर जांच करने व चार्जशीट दाखिल करने तक पुलिस की तरफ से सुस्ती या कहें कि उदासीनता बरती गई। प्रथम दृष्ट्या पता चलता है कि इस मामले में पुलिस की भूमिका ने हमारे देश की छवि को धूमिल किया है।”

मामले का संक्षिप्त विवरण:

  • घटनास्थल: दरभंगा टाउन थाना क्षेत्र, बिहार
  • पीड़िता: अमरीकी मूल की नाबालिग बच्ची (घटना के समय 13 वर्ष)
  • आरोपी: चमन, स्थानीय युवक
  • समय: 2018-2019 के बीच
  • आरोप: यौन दुर्व्यवहार, पीछा करना, धमकी देना
यह भी पढ़ें:  Darbhanga में Cyber ​​Fraud @8.5 लाख एक झटके में, अगर आपके पास भी आता है ऐसा कॉल, पढ़िए

पुलिस की ‘उदासीनता’ के मुख्य बिंदु:

  • एफआईआर में देरी और लापरवाही: पीड़िता के परिवार ने 2018 में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने अनदेखी की।
  • पॉक्सो एक्ट की धाराओं का अभाव: 2019 में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, नाबालिग पीड़िता के मामले में पॉक्सो एक्ट की धाराएं नहीं लगाई गईं।
  • सीआरपीसी 164 के तहत बयान में देरी: जांच अधिकारी पीड़िता का बयान दर्ज करने में आनाकानी कर रहे थे, जिसके लिए हाईकोर्ट का हस्तक्षेप जरूरी हुआ।
  • चार्जशीट में सबूतों की कमी: पुलिस ने 2021 में चार्जशीट दाखिल की, लेकिन महत्वपूर्ण सबूतों को शामिल नहीं किया गया, जैसे आरोपी के फेसबुक मैसेज जिसमें उसने शारीरिक संबंध स्वीकार किए थे।
  • इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की अनदेखी: पुलिस ने आरोपी द्वारा भेजे गए इलेक्ट्रॉनिक मैसेज को केस डायरी में दर्ज करने से इनकार किया, जो पीड़िता के बयान का समर्थन करते थे।
यह भी पढ़ें:  Waaah, Mumbai में 150 करोड़ की लागत से @एक एकड़ जमीन पर Bihar Bhawan, मरीजों के रुकने की होगी सुविधा

न्यायिक मजिस्ट्रेट की ‘कोताही’:

  • संज्ञान लेने में देरी: चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपराधों का संज्ञान नहीं लिया, जिससे पीड़िता के परिवार को दोबारा हाईकोर्ट जाना पड़ा।

हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण निर्देश:

  • इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच: पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज को निर्देश दिया गया कि पीड़िता के परिवार को कंप्यूटर उपकरण पेश करने की अनुमति दें।
  • वैज्ञानिक जांच: ट्रायल कोर्ट को एसएचओ की मदद से विशेषज्ञ नियुक्त करने और मैसेज की वैज्ञानिक जांच कराने का निर्देश दिया गया।
  • त्वरित कार्रवाई: एक महीने के भीतर सभी प्रक्रियाएं पूरी करने का आदेश दिया गया।

“नाबालिक से यौन हिंसा के मामले में कोर्ट को असल दोषी को तलाशने में सक्रियता बरतनी चाहिए”

– हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को “कोर्ट की प्रक्रिया के दुरुपयोग का उदाहरण” करार दिया। कोर्ट ने कहा कि कंप्यूटर उपकरणों से भेजे गए मैसेज केस के नतीजे के लिए अहम हैं।

यह भी पढ़ें:  Darbhanga Breaking! @PM Awas Yojana में घोटाला — रिश्वत नहीं तो जियो-टैगिंग नहीं

Click Here To read/download Order

--Advertisement--

ताज़ा खबरें

Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया [email protected] पर लिखें।

- Advertisement -
- Advertisement -
error: कॉपी नहीं, शेयर करें