पटना | बिहार के सात विश्वविद्यालयों में ₹177.38 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। महालेखाकार (Comptroller and Auditor General, CAG) कार्यालय ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और शिक्षा विभाग (Department of Education, Bihar) ने इन विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों से एक सप्ताह के भीतर संपूर्ण वित्तीय रिपोर्ट और उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utilization Certificate) जमा करने का निर्देश दिया है।
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किन विश्वविद्यालयों पर लगे हैं आरोप?
वित्तीय अनियमितताओं के आरोप निम्नलिखित सात विश्वविद्यालयों पर लगे हैं:
- वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (VKSU), आरा
- पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (PPU), पटना
- बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (BRABU), मुजफ्फरपुर
- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU), दरभंगा
- कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय (KSDSU), दरभंगा
- तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU), भागलपुर
- बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय (BNMU), मधेपुरा
इन विश्वविद्यालयों ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन किसी भी स्तर पर अंकेक्षण रिपोर्ट (Audit Report) और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की गई।
मुख्य वित्तीय गड़बड़ियां: कौन, कहां, कितनी?
1. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (VKSU), आरा
- ₹142.52 करोड़ की उत्तर पुस्तिकाओं की ख़रीद में नियमों का उल्लंघन।
- जेम पोर्टल (GeM Portal) और निविदा प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
- एक निजी एजेंसी को ठेका देकर उत्तर पुस्तिकाएं खरीदी गईं।
2. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (PPU), पटना
- ₹4.5 करोड़ की उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद बिना नियमावली का पालन किए की गई।
- ₹3.42 करोड़ की राशि के विरुद्ध मात्र ₹70 लाख का सामंजन दिखाया गया।
- ₹2.72 करोड़ के खर्च से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए।
3. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (BRABU), मुजफ्फरपुर
- ₹3.70 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।
- ₹1.10 करोड़ की प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद बिना निविदा के की गई।
4. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU), दरभंगा
- ₹1.45 करोड़ के खर्च का कोई हिसाब नहीं दिया गया।
- ₹18.27 लाख से कंप्यूटर खरीदे गए, लेकिन नियमानुसार प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ।
5. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय (KSDSU), दरभंगा
- ₹16.39 करोड़ का बिना वेतन सत्यापन किए शिक्षकों को भुगतान।
6. तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU), भागलपुर
- ₹4 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।
7. बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय (BNMU), मधेपुरा
- ₹5.50 करोड़ का कोई वित्तीय विवरण नहीं दिया गया।
अगले कदम: क्या होगी कार्रवाई?
शिक्षा विभाग और बिहार सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार:
- यदि एक सप्ताह में पूरी रिपोर्ट जमा नहीं होती, तो आर्थिक अपराध की धाराओं में मामले दर्ज किए जाएंगे।
- संबंधित विश्वविद्यालयों के वित्तीय अधिकारियों और कुलसचिवों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
- आगे से GeM पोर्टल और ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन अनिवार्य किया जाएगा।
SEO अनुकूलन और संदर्भ लिंक
- बिहार सरकार – शिक्षा विभाग
- महालेखाकार (CAG) की आधिकारिक रिपोर्ट
- वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय
- पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय
- बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय
- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय
- कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय
- तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय
- बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय