

बिहार सरकार राज्य के सबसे गरीब भूमिहीन परिवारों की पहचान के लिए इस महीने के अंत में एक सर्वेक्षण शुरू करेगी। यह सर्वेक्षण व्यापक होगा। इस दौरान विभिन्न श्रेणियों के बीच सबसे गरीब वर्गों के उन परिवारों की पहचान की जाएगी, जो अब भी भूमिहीन है।
सरकार राज्य के सभी भूमिहीनों को घर बनाने के लिए जमीन (वासभूमि) इस साल ही दे देगी। यही नहीं जिन भूमिहीनों को जमीन दे दी गई और उनका परिवार बढ़ा गया है तो वैसे लोगों का विशेष सर्वेक्षण कराकर उन्हें भी वासभूमि दी जाएगी।
एक भी भूमिहीन परिवार नहीं रहेगा। विभाग के अधिकारियों को एमपी-एमएलए-एमएलसी विकास योजनाओं के लिए जमीन संबंधी एनओसी शीघ्रता से देने का निर्देश दिया गया है।
वर्ष 2024 तक राज्य में जमीन का विशेष सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा। विपक्ष के वॉकआउट के बीच 1548.50 करोड़ के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अनुदान की मांगों को पास कर दिया गया।
अभी भी राज्य में 21 हजार 819 भूमिहीन परिवार राज्य में हैं। इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 3733, पिछड़ा वर्ग के 2264, अनुसूचित जाति के 3598, महादलित वर्ग के 11112 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 1112 परिवार शामिल हैं।
राज्य में सभी 534 अंचलों के 4.12 करोड़ जमाबंदी को डिजिटाइज्ड कर दिया गया है। सभी अंचलों में ऑनलाइन म्यूटेशन किया जा रहा है। आसानी से काम हो, इसके लिये अब पहले आओ पहले पाओ व्यवस्था लागू की गई है। अब तक 91.41 लाख ऑनलाइन म्यूटेशन किया जा चुका है।
राज्य के 21 जिलों गोपालगंज, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, अररिया, कटिहार, भागलपुर, मधेपुरा, जमुई, मुजफ्फरपुर, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, नालंदा, लखीसराय, कैमूर, जहानाबाद, नवादा, शिवहर, गया और पूर्णिया के सभी जमीन के अपडेट डाटा विभाग के वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। बचे 17 जिलों के भी जमीन के डाटा अपडेशन का काम भी लगभग पूरा है। पढ़िए पूरी खबर
हालांकि, इससे पहले एक विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। बिहार के राजस्व और भूमि सुधार विभाग के सचिव जयसिंह के मुताबिक सर्वेक्षण एक विशेष एप्लिकेशन के जरिए से किया जाएगा, जिसे औपचारिक रूप से 25 अप्रैल को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद यह सर्वेक्षण 30 जून तक पूरा कर लिया जाएगा।
सिंह ने कहा कि सर्वेक्षण करने वाले राजस्व अधिकारी भूमिहीन किसानों को पहले दी गई भूमि की स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगेंगे, क्योंकि उनमें से कुछ ने सरकार की ओर से उन्हें दी गई जमीन को निजी लोगों को बेच दिया था।
सिंह ने कहा कि हम इस बार परिवारों से इस तरह का ब्योरा ले रहे हैं, ताकि सरकार से प्राप्त भूमि को अन्य व्यक्तियों को बेचने जैसी अनियमितताओं के मामलों की जांच की जा सके।
दरअसल, राजस्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने सभी भूमिहीन परिवारों को भूमि प्रदान करने के लिए महागठबंधन सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने की बात कही है। भूमिहीन परिवारों के सर्वेक्षण पर कई समीक्षा बैठक कर चुके हैं।
इससे पहले बिहार ने आखिरी बार 2014 में भूमिहीन परिवारों का सर्वेक्षण किया था। सरकार भूमिहीन परिवारों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग सहित विभिन्न श्रेणियों में 3 से 5 डिसमिल तक जमीन देती है।
सिंह ने कहा कि 2014 के सर्वेक्षण के दौरान 24,000 परिवारों की पहचान की गई थी, जिन्हें अब तक जमीन दे दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इस साल दिसंबर तक उन्हें आवासीय जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि प्रतीक्षा सूची में शामिल भूमिहीन परिवारों को हमें प्राथमिकता के आधार पर जमीन देनी है। जमीन की उपलब्धता के आधार पर परिवारों को समूहों में या अलग-अलग क्षेत्रों में एक या दो इकाइयों में बसाने की योजना है।
इसके साथ ही राजस्व विभाग ने भूमि अभिलेखों को पुनर्गठित करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इस काम में तेजी लाने के उद्देश्य से 10,000 नए राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति को तेजी कर दिया गया है।
इसमें अमीन या भूमि मापक शामिल हैं। इस संबंध में जानकारी दी गई कि विभिन्न भूमि अभिलेखों के 2.70 करोड़ पृष्ठों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। सभी जिलों में प्रमुख भूमि रिकॉर्ड से संबंधित दस्तावेजों जैसे खतियान, जमाबंदी (किरायेदारों के बही खाते में रैयतों को आवंटित संख्या) का डिजिटलीकरण करने का काम चल रहा है।
सिंह के मुताबिक प्रमुख भूमि रिकॉर्ड को प्राथमिकता के आधार पर डिजिटाइज़ किया जा रहा है, ताकि उनके साथ छेड़छाड़ न की जा सके. बाकी दस्तावेजों को भी व्यवस्थित तरीके से डिजिटाइज़ किया जा रहा है।
इस बीच, अधिकारियों ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण का काम पहले से ही 20 जिलों के 89 सर्किलों में काम तेजी से चल रहा है और अगले दो वर्षों में इसे पूरा कर लिया जाएगा। भूमि सर्वेक्षण कार्य भूमि अभिलेखों को पुनर्गठित करने वाला पहला ऐसा सर्वेक्षण है।
इससे पहले अंतिम कैडस्ट्रल सर्वेक्षण, ब्रिटिश शासन के दौरान, 1911 में मैन्युअल सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि सीमाओं का पता लगाने के लिए किया गया था। हालांकि, पिछले 100 वर्षों में कुछ पुनरीक्षण सर्वेक्षण किए गए हैं।








