back to top
30 अप्रैल, 2024
spot_img

बिहार में जमीन रैयतों को बड़ी राहत, अब विशेष भूमि सर्वेक्षण में सिर्फ रसीद से होगा जमीन सर्वे

spot_img
Advertisement
Advertisement

खतियान और केवाला के बिना भी रहेगा जमीन पर अधिकार: सरकार की नई नीति से राहत

बिहार सरकार ने भूमि विवादों और कागजी औपचारिकताओं से परेशान रैयतों के लिए विशेष भूमि सर्वेक्षण (Special Land Survey) के तहत नई व्यवस्था लागू की है। अब, खतियान (Land Records) और केवाला (Ownership Deed) जैसे पुराने दस्तावेजों की अनुपस्थिति में भी बंदोबस्ती रसीद (Settlement Receipt) के आधार पर जमीन का अधिकार सुनिश्चित किया जा सकेगा।

RJD नेता तेजस्वी यादव ने #PahalgamTerroristAttack पर कहा —

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Deshaj Times (@tdeshaj)

भूमि राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल की बड़ी घोषणा

भूमि राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस नई पहल की घोषणा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य उन लोगों को राहत देना है, जिनके पास कागजात नहीं हैं, लेकिन वे जमीन पर लंबे समय से कब्जा बनाए हुए हैं।

प्रमुख बिंदु: नई व्यवस्था का लाभ

  1. केवल रसीद पर पहचान:
    • अब जमीन की पहचान और बंदोबस्ती के लिए बंदोबस्ती रसीद पर्याप्त होगी।
    • जिनके पास पुराने दस्तावेज नहीं हैं, वे भी 50 वर्षों से अधिक समय तक शांतिपूर्ण कब्जे का प्रमाण देकर जमीन का दावा कर सकते हैं।
  2. आपसी सहमति से बंटवारे को मान्यता:
    • परिवारों के बीच आपसी सहमति से हुए जमीन बंटवारे को अब कानूनी मान्यता दी जाएगी।
    • वंशावली के लिए किसी तीसरे पक्ष से प्रमाणिकता की जरूरत नहीं होगी।
  3. प्राकृतिक आपदा के कारण दस्तावेज खोने पर राहत:
    • बाढ़, आग या अन्य कारणों से कागजात नष्ट हो जाने पर भी जमीन के अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
  4. भूमि विवादों का समाधान:
    • नई नीति से पुराने विवादों का निपटारा आसान होगा।
    • खासकर उन मामलों में, जहां दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।
यह भी पढ़ें:  Bihar Teacher Joining News: TRE-3 शिक्षक हैं, Posting और Joining नहीं मिली है, आ गई GOOD NEWS

रैयतों के लिए सरलता और पारदर्शिता

सरकार का कहना है कि यह कदम भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को अधिक सरल और पारदर्शी बनाएगा। भूमि विवाद बिहार में एक बड़ा मुद्दा रहा है, और कागजी औपचारिकताओं की कमी के कारण हजारों रैयत अदालतों और अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। नई नीति से यह बोझ कम होने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों की राय

भूमि विवादों के विशेषज्ञ और अधिवक्ता अशोक वर्मा का कहना है,
“यह नीति उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है, जो दशकों से जमीन पर कब्जा तो बनाए हुए हैं, लेकिन दस्तावेजों के अभाव में अपने अधिकार नहीं स्थापित कर पाते थे।”

वहीं, भूमि सुधार पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नीलम शर्मा का कहना है कि यह नीति छोटे किसानों और ग्रामीण रैयतों के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

आगे की प्रक्रिया

  • सर्वेक्षण टीमें अब केवल बंदोबस्ती रसीद और कब्जे के प्रमाण के आधार पर कार्रवाई करेंगी।
  • अधिकारी विवादित जमीनों पर उचित जांच-पड़ताल कर निर्णय लेंगे।
  • सरकार ने रैयतों से अपील की है कि वे बंदोबस्ती रसीद और कब्जे का प्रमाण तैयार रखें।
यह भी पढ़ें:  Bihar Teacher News: शिक्षा जगत में रातों को चल रहा था ' गंदा खेल '...और महिला शिक्षकों के 'कृष्ण' बने ACS Siddhartha...बचाई लाज

निष्कर्ष: उन रैयतों के लिए उम्मीद की किरण है: बिहार सरकार की यह नई पहल उन रैयतों के लिए उम्मीद की किरण है, जो दस्तावेजों की कमी के कारण भूमि अधिकार से वंचित रह जाते थे। यह कदम भूमि विवादों को कम करने के साथ-साथ गरीब और छोटे किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

जरूर पढ़ें

Darbhanga के खतरनाक मोड़ Benipur-Biraul Main Road पर फिर छाया मातम, Pickup-Bike की टक्कर, युवक की मौत, दूसरा नाजुक

Darbhanga के खतरनाक मोड़ Benipur-Biraul Main Road पर मंगलवार को फिर अमंगल हो गया।...

Darbhanga में हादसे वाली तस्करी?…खून से लथपथ बुजुर्ग, उधर शराब, ‘हड़बड़ी में गुड़गोबर’

दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। दरभंगा जिले के बहेड़ा थाना क्षेत्र में मंगलवार को बहेड़ा-बहेड़ी...

Darbhanga के सभी SDPO और SHO, 10 मई तक कर लें यह कार्य, विलंब न हो, आपकी जिम्मेदारी!

Darbhanga | आगामी 10 मई 2025 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में...

Darbhanga में बहेड़ी के 3 आरोपी…मेले के दौरान #…/एक फरार

प्रभास रंजन, दरभंगा, देशज टाइम्स। दरभंगा जिले के एससी-एसटी थाना क्षेत्र में एक अहम...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें