दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। देशज टाइम्स में दो खबरें छपीं। पहला,Darbhanga की महिला दरोगा…
“साहिबा पर बड़े साहेब” का हाथ…! पिकअप वाली इस एक्सीलेटर में घूस वाली बड़ी डील…
इन दोनों खबरों के देशज टाइम्स में छपते ही बेंता थानाध्यक्ष लवली कुमारी की ओर से घूस लिए जाने के मामला गरमाया।
और, तत्काल एसएसपी अवकाश कुमार ने इसे गंभीरता से लिया। इस मामले की जांच का जिम्मा उन्होंने सिटी एसपी सागर कुमार को सौंप दिया है। सिटी एसपी सागर कुमार भी इस मामले को लेकर गंभीर हैं। जल्द ही पूरे मामले की सच्चाई सामने आ जाएगी। पढ़िए संजय कुमार राय की यह खबर का असर वाली रिपोर्ट
अब इस मामले में पंडासराय मुहल्ला निवासी योगेंद्र प्रसाद के पुत्र अनिल कुमार से पुलिस पूछताछ करेगी। और, सच्चाई के करीब पहुंचने का प्रयास करेगी। यहां बता दें कि अनिल कुमार फौजी हैं। और, फौज में रहकर उन्होंने देश की सेवा की है। यही नहीं सेवानिवृति के बाद उन्होंने बिहार पुलिस में योगदान देकर चौदह साल तक आम लोगों की सेवा की है।
इनका स्पष्ट कहना है कि हम झूठ से नहीं सच्चाई के साथ जीते हैं। उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर झूठ नहीं बोलेंगे। इस संबंध में अनिल से हुई बात के आधार पर पूरी रपट बनी और सबकुछ सामने उपलब्ध है। सिटी एसपी और एसएसपी के पास सभी साक्ष्य उपलब्ध हैं।
इधर, बेंता ओपी के मामले में जो गाड़ी (BRO7GB-1496) पुलिस ने पकड़कर छोड़ी थी वह गाड़ी अनिल के नाम से है। फौजी अनिल उस गाड़ी को किराए पर चलाता है। संयोगवश 9 अप्रैल को वह खुद गाड़ी चलाकर लौट रहे थे।
इसी बीच किसी ने बेंता पुलिस को सूचना दे दी। और, पुलिस ने अनाज से भरे गाड़ी को थाना कैंपस के पीछे छुपाकर रख दिया। दरअसल, इस गाड़ी पर लदा अनाज सरकारी योजना का था, जिसे फौजी अनिल लेकर आ रहा था। फौजी को यह पता नहीं था कि यह अनाज सरकारी है।
खैर, सरकारी अनाज पिकअप में होने की जानकारी बेंता पुलिस को दी गई थी। जिसके बाद पुलिस एक्शन में आई और गाड़ी को थाने में लगाने के बाद मोल-जोल शुरू हुआ था। और, एक लाख अस्सी हजार रुपये बतौर घूस लेकर गाड़ी छोड़ दिया गया।
इस पूरे प्रकरण में फौजी अनिल के बयान के बाद ही जिला के आलाधिकारी किसी नतीजे पर पहुंचेंगे। और, कार्रवाई होगी। हालांकि, इस प्रकरण के बाद फौजी अनिल को रहा नहीं गया। इतना सब कुछ होने के बाद सच्चाई बताने के लिए एसडीपीओ और सिटी एसपी के यहां बेंता थानाध्यक्ष के विरुद्ध शिकायत करने पहुंच गये। आखिर वर्दी की कीमत वह भी जानते हैं।
सिटी एसपी के कार्यालय में नहीं रहने के कारण मामला शांत हो गया था। फौजी अनिल का कहना है कि आवेदन के बाद सदर एसडीपीओ ने उन्हें बुलाया था। और, इस मामले में दबाव बनाया था।
फौजी अनिल का कहना है कि उनकी गाड़ी को छुड़ाने के लिये जिस माफिया ने एक लाख अस्सी हजार रुपये देकर उनकी गाड़ी को छुड़ाया उसे तो एक लाख अस्सी हजार रुपये उन्हें देना पड़ता। और, इसी कारण उन्होंने वरीय पुलिस अधिकारियों से शिकायत कर दी।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि घूस में दिये पैसों को हम कहां से देते और इसलिये हम न्याय चाहते थे। फौजी अनिल का कहना है एसडीपीओ को आवेदन देने के बाद ही एसडीपीओ की ओर से मुझे बुलाया गया। जहां, सभी माफिया मौजूद थे, और इस मामले को ही रफा-दफा कर दिया गया।
इस रफा-दफा मामले में हमसे कहा गया कि आपको अब यह पैसे किसी को नहीं देना है। फिर में शांत हो गया था।जबकि, इस मामले में एसडीपीओ अमित कुमार का कहना है कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी ही नहीं है। लेकिन, फौजी अनिल से इस संवाददाता ने बात की तो उस बातचीत में एसडीपीओ की भूमिका लगती है।
पर यह भी जांच का विषय है। मगर हमारे पास जो साक्ष्य के तौर पर जो सबूत हैं वह साबित करता है कि बेंता थानाध्यक्ष ने घूस लिया और एसडीपीओ ने मामले को रफा-दफा करने में महती भूमिका निभाई।
इस पूरे प्रकरण में मुख्य किरदार फौजी अनिल कुमार है। और, इनके बयान मायने रखता है। इनके बयानों की सत्यता की जांच जो साक्ष्य उपलब्ध हैं उसकी सच्चाई सामने आने पर बेंता थानाध्यक्ष पर कार्रवाई निश्चित है।
एसएसपी अवकाश कुमार ने कहा कि उनके नाम पर जो पैसे लिये गये हैं वह सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी तक उन्हें नहीं थी। देशज टाइम्स पढ़ने के बाद ही उनके नजर में यह मामला आया है जिसपर जांच की कार्रवाई की जा रही है। एसएसपी श्री कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दोषी जो भी होंगे उसपर कार्रवाई अवश्य होगी।