कहने भर को अब बिहार में सुशासन बचा है। साहेब आज जब से सरकार पांच राज्यों की बदलने लगी है नेताओं के सुर बदलने लगे हैं। सवाल यही उठ रहा, एनडीए की संयुक्त बैठक अब तक क्यों नहीं हुई। नीतीश को किसी राज्य में प्रचार लायक नहीं समझा बीजेपी वालों ने साहेब अब जब हार हुई है बात तो बढ़ेगी ही। जदयू के स्वर बदल गए। कारण, अब लीजिए ना साहेब दरभंगा को ही जिस ताबड़तोड़ तरीके से अपराधियों ने खुलेआम पुलिस को चुनौती देकर दिन रात का फर्क मिटा दिया है। कभी दिन में लूट रहे कभी सरेशाम लूटकर निकल रहे। क्या होगा यहां की जनता का। ऐसे में, यहां की पुलिस व्यवस्था से लोगों का भरोसा टूट गया है। आम लोगों की हालत, व्यापारियों की जलालत, महिलाओं की परिस्थिति यही है, लाख सहे दुःख लेकिन जग को, मैंने सौ-सौ सुख बांटे हैं। सब के पथ पर फूल बिछाए अपने हाथ लगे कांटे हैं। घातक है, जो देवता–सदृश दिखता है, लेकिन कमरे में ग़लत हुक्म लिखता है, चोरों के हैं जो हेतु, ठगों के बल हैं, जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं, जो छल–प्रपंच सब को प्राश्रय देते हैं, या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं। यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है सुशासन अपने घर में ही हार गया है। रिपु नहीं, यही अन्याय हमें मारेगा, अपने घर में ही फिर स्वदेश हारेगा। यही हाल है अधिकारियों का। क्या जवाब देंगे क्या जवाब देने की हैसियत में हैं। किसी के पास कुछ बोलने के शब्द नहीं हैं।
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है सुशासन अपने घर में ही हार गया है
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