बिहार सरकार ने एक साथ 19858 सिपाहियों का ट्रांसफर कर दिया। और अब पटना हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि यह ट्रांसफर बिना किसी नीति और पारदर्शिता के हुआ है। हाईकोर्ट ने सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। तब तक सभी तबादलों पर रोक लगा दी है।
बिहार पुलिस के 19858 सिपाहियों के तबादले पर पटना हाईकोर्ट की रोक
पटना, देशज टाइम्स | पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 19858 पुलिस सिपाहियों के एक साथ किए गए स्थानांतरण पर तत्काल अंतरिम रोक (Stay Order) लगा दी है। न्यायमूर्ति राजेश वर्मा की एकलपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।
स्थानांतरण नीति के बिना तबादले, कोर्ट सख्त
याचिका में कहा गया कि 5 मई 2025 को बिना किसी स्थानांतरण नीति के इतने बड़े पैमाने पर सिपाहियों का तबादला कर दिया गया। 2022 की स्थानांतरण नीति पहले ही समाप्त की जा चुकी है, और अब तक नई नीति लागू नहीं की गई है।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियाँ
याचिका अमिताभ बच्चन एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता अवनीश कुमार ने दाखिल की।कहा गया कि 2010-2015 के बीच नियुक्त सिपाहियों का चयनित तबादला हुआ, ले किन जो लंबे समय से एक ही जगह पर थे, उन्हें नहीं हटाया गया। यह प्रक्रिया भेदभावपूर्ण और अपारदर्शी बताई गई है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि बिना स्थानांतरण नीति के इस निर्णय का पूरा आधार हलफनामे में स्पष्ट करें। तब तक सभी तबादलों पर अंतरिम रोक जारी रहेगी। अगली सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद निर्धारित होगी।
सिपाहियों में असमंजस और नाराजगी
तबादले से हजारों सिपाहियों में भ्रम और असंतोष की स्थिति है। कुछ को नई जगह कार्यभार ग्रहण करना पड़ा, जबकि कई अभी भी आदेशों की प्रतीक्षा में हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया से व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है।