आकिल हुसैन मधुबनी देशज टाइम्स ब्यूरो। आषा संघर्ष समिति के राज्यव्यापी अनिश्चित कालीन हड़ताल के दसवें दिन सोमवार को सिविल सर्जन के समक्ष आशा व स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए चिकित्सा संघ के जिला मंत्री प्रीति नारायण दास ने कहा कि वर्ष 2005 में आशा को केंद्रीय सरकार की ओर से स्वास्थय विभाग में विभिन्न कार्यक्रमों में सहयोग करने के लिए चयन किया गया लेकिन आशा को उनके कर्यों के बदले सिर्फ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है।
उन्होंने आशा के बारह सूत्री मांगों के बारे में कहा कि 29 जून 2015 के समझौते के मानदेय निर्धारण सहित अन्य अकार्यान्वित बिंदु, न्यूनतम वैधानिक मजदूरी अठारह हजार रुपए मासिक मानदेय योग्यताधारी आशा को अल्पकालीन प्रशिक्षण देकर एएनएम में नियुक्ति,पचास प्रतिशत आशा फैसिलिटेटर का बीसीएम के पद पर नियुक्ति, प्रसव के मामलों में रेफर केस में संबंधित स्वास्थ्य केंद्र से ही भुगतान होना समेत अन्य चर्चा की। सभा को संबोधित करते हुए मुख्य संरक्षक विजय कुमार यादव ने कहा कि यह सिर्फ वादों की सरकार है, जो सिर्फ अपने वादों से जनता को भ्रम में डाल कर उसे ठग रही है।
पूर्व में भी केंद्र सरकार ने आशा को मानदेय देने की बात की थी, लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर सकी। कुछ अन्य राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं को मानदेय दिया जा रहा है तथा इस प्रकार इस राज्य में भी आशा को मानदेय मिलना चाहिए। इस राज्य में चूंकि मानदेय नहीं दिया जा रहा है। इसलिए आशा हड़ताल पर हैं। सभा को संबोधित करते हुए जिला संयुक्त मंत्री आशा नीतू मिश्रा ने आशा स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ हैं, दूसरी ओर मानदेय व वेतन की बात तो दूर वह न्यूनतम दैनिक मजदूरी के बराबर भी प्रोत्साहन राशि नहीं दे रही है। सभा को महासंघ के जिला मंत्री गणपति झा, चिकित्सा संघ के शिवसुंदर मंडल,अनमोल मिश्र,आशा संघर्ष समिति की किरण कुमारी,रूमा कुमारी, काशी ठाकुर, रेखा मिश्रा, संजू देवी, मंजुली देवी,आशा कुमारी, सोनी कुमारी, आयशा खातून, नमिता कुमारी ने संबोधित किया। वहीं, ग्यारह दिसंबर को डीएम के समक्ष प्रदर्शन करने का संकल्प किया।
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